राष्ट्रपति चुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया के साथ ही एनडीए व यूपीए ने कसरत तेज कर दी है। भाजपा की कोर समिति की बैठक में 23 जून को एनडीए उम्मीदवार के नाम की घोषणा पर फैसला हुआ। आम सहमति बनाने के लिए भाजपा की गठित समिति शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व सीपीएम नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात करेगी। वहीं यूपीए में अभी उम्मीदवार को लेकर माथा पच्ची ही चल रही है।
दिल्ली के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा है। दिलचस्प है कि यह पत्र उस समय आया है जब आम आदमी पार्टी यह आरोप लगा रही है कि उपराज्यपाल सभी को दरकिनार करते हुए सरकार के हटाए गए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा से जल्दी जल्दी मिल रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं। इस मौके पर पत्र लिखने से राजनैतिक हलचलें जरूर तेज हो गई हैं। उधर, उपराज्यपाल दफ्तर ने सफाई दी है कि मुख्यमंत्री को अगले सप्ताह बुधवार को मिलने का समय दिया गया है।
भारत के निर्वाचन आयोग ने देश के राजनैतिक दलों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक करने की चुनौती दी है। आयोग ने कहा है कि 3 जून से दलों को हैक करने का समय दिया जाएगा।
योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की कमान देकर एक तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुआ खेला है। यह विमुद्रीकरण से भी बड़ा खतरा है, जिसे मोदी ने उठाया है। आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने से इतना तो साफ हो गया है कि मोदी को धारा के विपरीत बहना ही पसंद है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अखिलेश यादव सरकार पर हमला तेज करते हुए आरोप लगाया कि वह अपराध और भ्रष्टाचार को संरक्षण तथा बढ़ावा दे रही है और जोर देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव चौदह साल पुराना विकास का वनवास खत्म कर देंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में विकास पिछले 14 साल से वनवास भोग रहा है और भाजपा कार्यकर्ताओं को जनता को राहत दिलाने के लिये राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव एक जिम्मेदारी के तौर पर लड़ना होगा। मोदी ने एक बार फिर सबका साथ-सबका विकास का नारा बुलन्द करते हुए प्रदेश की जनता का आहवान किया कि वह जात-पात और अपने-पराये की भावना से उपर उठकर विकास के लिये भाजपा को वोट दे।
देश में 1900 राजनैतिक दल हैं। इन पार्टियों में से करीब 400 पार्टियों ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। इसका मीडिया में यही मतलब निकाला जा रहा है कि इन पार्टियों के गठन का लक्ष्य कहीं कालेधन को सफेद करना ही तो नहीं था। इस तस्वीर के बाद दार्शनिक अंदाज में यह भी कहा जा सकता है कि भारतीयों के जीवन में 'राजनीति' बहुत गहराई तक शामिल है।