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गायिका शुभा मुद्गल को राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार

गायिका शुभा मुद्गल को राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार

विख्यात गायिका शुभा मुद्गल को 23वां राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। शुभा मुद्गल को यह पुरस्कार सांप्रदायिक भाईचारा, शांति एवं सौहार्द को बढ़ावा देने में उनके अप्रतिम योगदान के लिए दिया जाएगा।
राजनाथ और पाक गृहमंत्री के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी

राजनाथ और पाक गृहमंत्री के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं होगी

गृह सचिव राजीव महर्षि ने कहा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह दक्षेस की मंत्री स्तरीय बैठक से इतर अपने पाकिस्तानी समकक्ष चौधरी निसार अली खान के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं करेंगे।
outlookhindi.com पर देखें सैयद हैदर रजा का खास इंटरव्यू

outlookhindi.com पर देखें सैयद हैदर रजा का खास इंटरव्यू

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रजा का शनिवार को निधन हो गया। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित सैयद हैदर रज़ा उर्फ़ एस.एच. रज़ा का जन्म 22 फ़रवरी 1922 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बावरिया में हुआ था।
पी.एम. बनना-बनाना कठिन

पी.एम. बनना-बनाना कठिन

भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का कहना है कि ‘लालकृष्‍ण आडवाणी देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे। लेकिन जब समय आया, तो उन्होंने इस पद के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का नाम आगे कर दिया।’ स्वामीजी ने 32 वर्षों तक आडवाणी के सहायक रहे विश्वंभर श्रीवास्तव की आत्मकथा जैसी पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में यह बात कही।
मैं चिदंबरम व जेटली को जेल भिजवाऊंगा: जेठमलानी

मैं चिदंबरम व जेटली को जेल भिजवाऊंगा: जेठमलानी

पूर्व कानून मंत्री व भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष रहे राम जेठमलानी ने कानून के क्षेत्र में एक नया रिकार्ड बनाया है। वे इस समय देश के एकमात्र ऐसे वकील है जिन्हें वकालत करते हुए 75 साल हो गए हैं। चंद महीनों बाद वे 94 साल के हो जाएंगे। इतनी उम्र हो जाने के बाद भी उनके मन में एक ऐसी आग है जिसे वे छिपाना भी नहीं चाहते हैं। प्रस्तुत है इस जाने माने वकील और हाल में बिहार से राज्यसभा के लिए निर्वाचित सांसद से विवेक सक्सेना की बातचीतः
विकास दर पर मेरी नहीं, विदेशियों की तो सुनोः मोदी

विकास दर पर मेरी नहीं, विदेशियों की तो सुनोः मोदी

लगता है एक अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू की हुई आलोचना का कुछ असर हुआ है ‌इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के कुछ चुनिंदा पत्रकारों से मिलने का फैसला किया। हालांकि इन पत्रकारों से भी लिखित में सवाल मांगे गए और उनके जवाब भी लिखित में दिए गए मगर ‌मोदी ने बाद में उनसे एक साथ प्रधानमंत्री आवास पर मुलाकात की और इस बातचीत में भी कई सवालों के जवाब दिए।
चंद्रास्वामी के बिना अधूरी राव-गाथा

चंद्रास्वामी के बिना अधूरी राव-गाथा

नरसिंह राव भारत के सर्वाधिक विवादास्पद प्रधानमंत्री होने के साथ आजादी के बाद आर्थिक क्रांति के जनक माने जाते हैं। राव के राजनीतिक जीवन और कार्यकाल पर बहुत कुछ लिखा-छपा है लेकिन इस सप्ताह युवा प्रोफेसर और पत्रकार विनय सीतापति की नई पुस्तक हाफ लॉयन: हाऊ पी.वी. नरसिंह राव ट्रांसफॉर्म्ड इंडिया में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों, पत्रों और भेंटवार्ताओं के जरिये राव के राजनीतिक जीवन से जुड़े कई पहलुओं की चर्चा हो रही है।
देंग से मिलने की नरसिंह राव की हसरत दिल में ही रह गई थी

देंग से मिलने की नरसिंह राव की हसरत दिल में ही रह गई थी

ये तो सभी जानते हैं कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की जोड़ी ने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की और देश को आर्थिक बदहाली से उबार लिया मगर यह बहुत कम लोगों को पता है राव दरअसल चीन के अपने समय के सबसे शक्तिशाली कम्युनिस्ट नेता देंग श्याओ पिंग से बेहद प्रभावित थे और उनसे मिलना चाहते थे मगर राजीव गांधी जब देश के प्रधानमंत्री थे तो राव को विदेश मंत्री होने के बावजूद अपने साथ चीन नहीं ले गए।
चर्चाः स्वामी की ‘भस्म’ शक्ति पार्टी पर भारी | आलोक मेहता

चर्चाः स्वामी की ‘भस्म’ शक्ति पार्टी पर भारी | आलोक मेहता

सुब्रह्मण्यम स्वामी राजनीति के नए खिलाड़ी नहीं हैं। उखाड़-पछाड़ का उनका रिकार्ड पुराना और प्रधानमंत्रियों-पार्टियों के लिए अग्निकुंड तैयार करने वाला रहा है। इसलिए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के साथ सरकार में बैठे 27 लोगों को ध्वस्त करने के उनके ऐलान पर आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए।
चर्चाः आर्थिक क्रांति पर चांदी की चमक | आलोक मेहता

चर्चाः आर्थिक क्रांति पर चांदी की चमक | आलोक मेहता

21 जून को योग दिवस के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिलने का एक कारण दुनिया में भारत की आर्थिक शक्ति की पहचान भी है। बाहर वालों को ध्यान नहीं आएगा, लेकिन भारतीयों को याद आ जाना चाहिए कि 21 जून, 1991 को आर्थिक नीति में क्रांतिकारी बदलाव की नींव राष्ट्रपति भवन में रखी गई थी।