उत्तर प्रदेश के बलिया के चर्चित नरही गोलीकांड में भाजपा कार्यकर्ता की मौत पर क्षेत्रीय भाजपा विधायक उपेंद्र तिवारी खूब रोए। विधायक ने ये आंसू अपने कार्यकर्ता विनोद राय के लिए बहाए, जो उनके थाने पर धरना की वजह से पुलिस की गोली का शिकार हुआ।
असम की एक अदालत ने आरएसएस के खिलाफ एक टिप्पणी के मामले में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आरोपी के तौर पर समन किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष को संघ के खिलाफ टिप्पणी के एक मामले में आपराधिक मानहानि का सामना करना है।
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में जारी तनाव दक्षेस के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में उस समय साफ तौर पर देखने को मिला, जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह का गुरुवार को अपने पाकिस्तानी समकक्ष चौधरी निसार अली खान से आमना-सामना हुआ। दोनों नेताओं ने बमुश्किल ही एक-दूसरे से हाथ मिलाया।
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नए सियासी समीकरणों का संकेत देते हुए मंगलवार को उत्तर प्रदेश में कहा कि देश में दलितों को उनका हक दिलाने के लिए अभी बहुत लड़ाई बाकी है और यदि मौका मिला तो वह बीएस-4 के साथ मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे।
गुजरात में दलितों की पिटाई के मामले में चौतरफा निशाने पर आई भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार संकट की खबर उत्तर प्रदेश से आई है। प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के एक बयान से प्रदेश के राजनीतिक हलके में हंगामा मच गया है।
एक गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गुजराती के प्रख्यात लेखक डॉ. रघुवीर चौधरी को 51वां ज्ञानपीठ अवॉर्ड दिया। दिल्ली में संसद भवन पुस्तकालय में हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारो, साहित्यारों और सुधि पाठक जनों ने हिस्सा लिया।
कभी अति सक्रियता और कभी संयम खोकर लक्ष्मण रेखा पार कर जाना। स्मृति ईरानी की तरह इसी कारण संघ की नाराजगी के चलते जयंत सिन्हा का भी विभाग बदला। उनके मामले में एक अतिरिक्त तथ्य यह भी रहा कि उन्होंने कॉरपोरेट घरानों की लॉबी को नाराज कर रखा था। उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण मंत्रालय नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाकर भेजा गया। हालांकि, स्मृति ईरानी के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में बदली की चर्चा के बीच जयंत सिन्हा का विभाग बदले जाने की बात दब गई।
राजनीतिक गलियारों में इन दिनो दावे किए जा रहे हैं कि अजित सिंह की पार्टी रालोद और समाजवादी पार्टी में 'डील' हो चुकी है और इसकी बस घोषणा होनी बाक़ी है। मगर वहीं अजित सिंह को निकट से जानने वालों की मानें तो दिल्ली अभी दूर है। बक़ौल उनके सिंह अभी कम से कम एक बार ताश के पत्ते और फेंटेंगे और अन्य सम्भावनाओं को टटोलने का पुनः प्रयास करेंगे ।