तुम कितने तुच्छ, कंजूस और दिखावटी हो सकते हो इसका अंदाजा अभी हुआ। तुम ने तो उसका यश गाया था, उसका महिमा मंडन किया था, उसे अब तक के, लगभग सब से महान वैज्ञानिक की तरह प्रस्तुत किया था। उस पर तो सम्मानों और पदवियों की बारिश हुआ करती थी, उसे तो तुम ने देश के सब से बड़े नागरिक सम्मान से आभूषित किया था, उसे राष्ट्राध्यक्ष के पद पर आसीन किया था तुमने। और तुम्हीं ने तो हर गली, हर चौबारे से हर मकान की छत से ऐलान किया था कि यही है जनता का राष्ट्रपति !
'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
तमाम अटकलों को विराम देते हुए पाकिस्तान ने भारत के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की वार्ता रद्द कर दी है। इससे पहले भारत ने साफ तौर पर कह दिया था कि वार्ता में कश्मीर पर चर्चा और अलगाववादियों से मुलाकात उसे कतई मंजूर नहीं है। पाकिस्तान विदेश विभाग की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, एनएसए स्तरीय वार्ता भारत द्वारा तय की गई पूर्व शर्तों के आधार पर नहीं हो सकती। भारत ने पाकिस्तान के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
खस्ताहाल प्रशासन वाले राज्य भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरुस्त करने और भोजन का अधिकार अधिनियम को क्रियान्वित करने में सक्षम हैं- मध्यप्रदेश इसका नवीनतम उदाहरण है।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार सरताज अजीज के साथ दिल्ली में प्रस्तावित बैठक से पहले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर लिया गया। हालांकि, मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक और शब्बीर शाह सहित अधिकांश हुर्रियत नेताओं को चंद घंटों के भीतर ही रिहा कर दिया गया है। बताया जाता है कि वरिष्ठ हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी पर पुलिस की निगरानी बरकरार है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अज़ीज़ से हुर्रियत नेताओं मुलाकात रोकने के लिए यह कार्रवाई की गई।