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साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्य को लेकर हम लापरवाह - उदयन वाजपेयी

साहित्यिक पत्रिका समास के संपादक और साहित्यकार उदयन वाजपेयी अपनी कहानियों से ज्यादा उनके द्वारा लिए गए विभिन्न हस्तियों के साक्षात्कार के लिए पहचाने जाते हैं। कई साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच समास का अलग तेवर है। स्थानीय पुट के साथ-साथ इसमें राष्ट्रीयता का दखल भी इसमें कम नहीं होता। साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी और इस दुनिया के बदलते तेवर पर उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात साझा की।
ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और नयनतारा सहगल सहित 21 लेखकों द्वारा साहित्यिक सम्मान लौटाने की घोषणा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिन्दू धर्म को विकृत करने और भारत को नष्ट करने के प्रयासों में सेकुलर ग्रंथि से पीड़ित कुछ असहिष्णु कलमकारों ने अपने तमगे लौटा दिए हैं।
प्रतिरोध बढ़ा, सारा जोसेफ ने भी लौटाया साहित्य अकादमी

प्रतिरोध बढ़ा, सारा जोसेफ ने भी लौटाया साहित्य अकादमी

देश में सांपद्रायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं से आहत होकर अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों की सूची में मलयाली लेखिका सारा जोसेफ का नाम भी जुड़ गया है। जोसेफ को वर्ष 2003 में उनकी रचना अलहयूद पेनमक्कल के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।
लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

लोकतंत्र का तकाजा है कि लेखक आवाज उठाएं

पिछले कई वर्षों से हमारे देश में जो होता रहा है उसने सृजन-समुदाय को लगातार बेचैन किया हैः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और धार्मिक बहुलता, सामाजिक समरसता पर संगठित प्रहार बहुत बढ़ गए हैं। राजनीति, धर्म और बाजार ने मिलकर, अपनी सभी मर्यादाएं छोड़कर, बेहद व्याप्ति अर्जित कर ली है। असहमति की जगह और अवसर सिकुड़ रहे हैं और पचास से अधिक वर्षों के परिपक्व लोकतंत्र में असहमति को देशद्रोही करार दिया जा रहा है।
अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

अब अशोक वाजपेयी ने लौटाया साहित्य अकादमी पुरस्कार

देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्‍यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्‍नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्‍या के विरोध में यह पुरस्‍कार लौटा चुके हैं।
अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया

अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाया

देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्‍यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्‍नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्‍या के विरोध में यह पुरस्‍कार लौटा चुके हैं।
कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा कश्मीर : फारूक अब्दुल्ला

कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगा कश्मीर : फारूक अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दु‍ल्ला ने कहा है कि कश्मीर कभी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हो सकता है। अब्दु‍ल्ला ने एक कार्यक्रम में बातचीत के दौरान ये बात कही।
हिन्दी में भी हो एमबीबीएस परीक्षा: डॉ. मोहनलाल चीपा

हिन्दी में भी हो एमबीबीएस परीक्षा: डॉ. मोहनलाल चीपा

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जो छात्र डाॅक्टर बनकर निकल रहे हैं, उसमें से 54 प्रतिशत डाॅक्टर विदेश चले जाते हैं और लौटकर भारत नहीं आते। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हिन्दी माध्यम से स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्र जब एम्स जैसी संस्था में पढ़ने जाते हैं, तो भाषाई स्तर पर पिछड़ने की वजह से उनमें से कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। यही वजह है कि अब एमबीबीएस की परीक्षा हिंदी में कराने की मुहिम तेज हो गई है।
नदी जोड़ परियोजना पर सुरेश प्रभु की रिपोर्ट हुई गायब

नदी जोड़ परियोजना पर सुरेश प्रभु की रिपोर्ट हुई गायब

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय बनाई गई नदी जोड़ परियोजना की रिपोर्ट गायब हो गई है। इस रिपोर्ट को उस समय सुरेश प्रभु ने तैयार किया था। सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद एक बार फिर नदी जोड़ परियोजना को जोर-शोर से शुरू किए जाने की कवायद होने लगी। लेकिन जब इस परियोजना की पिछली रिपोर्ट को मांगा गया तब पता चला कि यह रिपोर्ट ही गायब हो गई।
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