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वापस नहीं लिया अवार्ड, असहिष्णुता के खिलाफ विरोध जारी: नयनतारा सहगल

वापस नहीं लिया अवार्ड, असहिष्णुता के खिलाफ विरोध जारी: नयनतारा सहगल

अपना साहित्य पुरस्कार वापस लेने से इंकार कर चुकी जानी-मानी लेखिका नयनतारा सहगल ने आज साहित्य अकादमी को एक पत्र लिखकर कहा कि असहिष्णुता के खिलाफ उनका विरोध जारी है।
कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

देश में असहिष्णुता के माहौल को लेकर पुरस्‍कार वापसी का सिलसिला जारी है। अब जाने-माने फिल्‍म फ‍िल्‍मकार कुंदन शाह, निर्देशक सईद मिर्जा और प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय समेत 24 फिल्‍मकारों ने अपने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार लौटाने का ऐलान किया है। इससे पहले दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन समेत 11 लोगों ने अभिव्‍यक्ति की आजादी और असहिष्‍णुता के मुद्दे पर अपने पुरस्‍कार लौटा दिए थे।
अवार्ड नहीं लौटाएंगे कमल हासन, बोले-शुरू से है असहिष्णुता

अवार्ड नहीं लौटाएंगे कमल हासन, बोले-शुरू से है असहिष्णुता

देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने के तरीके पर असहमति जताते हुए मशहूर अभिनेता कमल हासन ने कहा कि पुरस्कार वापस करना इस समस्या का कोई समाधान नहीं है क्योंकि ध्यान आकर्षित करने के और भी तरीके हैं।
दिबाकर बनर्जी, पटवर्धन समेत 10 फिल्‍मकारों ने अवार्ड लौटाए

दिबाकर बनर्जी, पटवर्धन समेत 10 फिल्‍मकारों ने अवार्ड लौटाए

साहित्‍यकारों के बाद अब फिल्‍मकारों ने भी पुरस्‍कार लौटाने शुरू कर दिए हैं। देश में बढ़ती असहिष्णुता और एफटीआईआई के मुद्दे पर दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन समेत 10 फिल्‍मकारों ने अपना राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार लौटा दिया है।
मैगसायसाय का पैसा संजीव चतुर्वेदी ने एम्‍स को दान किया

मैगसायसाय का पैसा संजीव चतुर्वेदी ने एम्‍स को दान किया

सरकारी सिस्‍टम में रहते हुए भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने वाले भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने मैग्सेस अवार्ड में मिली पूरी धनराशि एम्‍स के जरूरतमंद मरीजों को दान करने का फैसला किया है।
इस सरकार को ईमानदारी कतई बर्दाश्‍त नहीं: संजीव चतुर्वेदी

इस सरकार को ईमानदारी कतई बर्दाश्‍त नहीं: संजीव चतुर्वेदी

जब से रेमन मैग्सायसाय फाउंडेशन ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को ‘उभरते नेतृत्व’ लिए अपना प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया है, तब से उन राजनेताओं और अधिकारियों में एक अर्थपूर्ण खामोशी देखी जा रही है, जो उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के खुलासे के कारण चतुर्वेदी के पीछे पड़े हुए थे। अगस्त 2014 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद से हटाए गए चतुर्वेदी ने पिछले महीने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय पर उन्‍हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण का दरवाजा खटखटाया था। चंडीगढ़ मे चंदर सुता डोगरा को दिए एक साक्षात्कार में 40 वर्षीय चतुर्वेदी बताते हैं कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मामले में कानून सम्मत कार्रवाई किए जाने की उनकी 'जायज उम्‍मीदें' ध्वस्त हो गईं।
संजीव चतुर्वेदी, अंशु गुप्ता को रैमन मैगसायसाय सम्मान

संजीव चतुर्वेदी, अंशु गुप्ता को रैमन मैगसायसाय सम्मान

संजीव चुतर्वेदी और अंशु गुप्ता को इस साल का रैमन मैगसायसाय सम्मान देने की घोषणा की गई है। संजीव चतुर्वेदी ने एम्स में मु्ख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया। अंशु गुप्ता गूंज संस्था की संस्थापक हैं।
मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

साधरण कद-काठी, साधारण चेहरा-मोहरा। सांवली रंगत लेकिन जन्मजात सहज अभिनय करने की कुशलता। यह हैं, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बुढाना में जन्में और पले-बढ़े नवाजुद्दीन सिद्दीकी। नवाजुद्दीन किसी बड़े फिल्मी परिवार से नहीं हैं, न ही उनका बॉलीवुड में कोई गॉडफादर रहा। अपने दम पर नाम और शोहरत कमाने वाले नवाजुद्दीन के लिए यह सब बहुत आसान नहीं था। मुजफ्फरनगर में रहते हुए जहां उनके पास मनोरंजन के लिए टीवी नहीं था, उन्होंने लोक कलाकारों के बीच तमाशा, रामलीला देखते हुए अपना बचपन बिताया। नवाजुद्दीन उन्हीं कलाकारों की तरह होना चाहते थे। वैसे ही बनना चाहते थे। पर कैसे यह उन्हें उस वक्त पता नहीं था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से स्नातक के बाद उन्होंने कई तरह की नौकरियां कीं। यहां तक की चौकीदार की भी। फिर भी अभिनय की भूख थी कि खत्म नहीं हुई थी। विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें और मजबूत कर दिया। इसी बीच उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बारे में पता चला और बस अभिनय के गुर सीखने वह यहां चले आए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रहते हुए उन्होंने कई नाटकों को करीब से जाना। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से कोर्स पूरा करने के बाद दिल्ली में ही उन्होंने कई नाटक किए और फिर वहीं चले आए, जो अभिनय की दुनिया में स्थापित होने के लिए मक्का है, मुंबई। एक लंबे संघर्ष के बाद खुरदुरे चेहरे वाला यह अभिनेता निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बनता जा रहा है। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर, तलाश, बदलापुर, बजरंगी भाईजान के बाद अब सभी की निगाहें उनकी आने वाली फिल्म मांझी- द माउंटेनमैन पर टिकी हुई हैं।
धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

धर्मान्धता के इस दौर में विनोद मेहता की कमी खलेगीः सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आउटलुक समूह के दिवंगत संस्थापक संपादक विनोद मेहता को जी.के.रेड्डी मेमोरिअल अवार्ड दिया, जिसे विनोद मेहता की पत्नी सुमिता मेहता ने स्वीकार किया। दिल्ली के जवाहर भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए।
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