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Search Result : "वसंत हो और हिंदी कविता के प्रेमी को वन न याद आएं"

जीएसटी: कांग्रेस के सामने सरकार लाचार, जेटली को आई नेहरू की याद

जीएसटी: कांग्रेस के सामने सरकार लाचार, जेटली को आई नेहरू की याद

जीएसटी विधेयक को लेकर सरकार और कांग्रेस के बीच सहमति की उम्मीदें धूमिल पड़ती जा रही हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मौजूदा संसद सत्र के बेकार चलने जाने की आशंका जता चुके हैं।
जलवायु सम्‍मेलन: मोदी ने विकसित देशों को याद दिलाई जिम्‍मेदारी

जलवायु सम्‍मेलन: मोदी ने विकसित देशों को याद दिलाई जिम्‍मेदारी

पेरिस में चल रहे जलवायु सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत के कार्बन उत्‍सर्जन स्‍तर में 2005 के मुकाबले 33-35 फीसदी कटौती का ऐलान किया है। साथ ही उन्‍होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में किसी तरह की एकतरफा कारवाई से दुनिया आगाह करते हुए विकसित देशों को उनकी जिम्‍मेदारी याद दिलाई है।
मणि मोहन की कविताएं

मणि मोहन की कविताएं

अब तक दो कविता संग्रह और एक अनुवाद की पुस्तक प्रकाशित। कविता संग्रह, शायद पर म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा वागीश्वरी सम्मान। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित।
विहान के मंच पर विभोर

विहान के मंच पर विभोर

सृजनात्मक सरोकारों की दिशा में काव्य प्रतिभाओं की नई आमद हुई है। इन्हीं नवोदित कवि प्रतिभाओं की कविता का पाठ हुआ। विभोर उपाध्याय ने कला समूह विहान के अंतर्गत स्थापित पोएटिक्स मंच पर युवा मन में अंकुराती उम्मीदों, स्मृतियों, सपनों और सामजिक संवेदनाओं से गहराती कविताओं का अनूठी वाचिक शैली में पाठ किया। तीसरा कोना, वक्त, बचपन, यादें, आखरी पन्ना शीर्षक से रचनाएं श्रोताओं तक पहुंची।
बेगम अख्तर की याद में ठुमरी

बेगम अख्तर की याद में ठुमरी

संगीत नाटक अकादमी लंबे समय बाद फिर सक्रिय हो गई है। पिछले दिनों अकादमी में बेगम अख्तर की जन्मशती वर्ष पूरे होने के अवसर पर नामी कलाकारों के कार्यक्रम कराए।
वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
उजले दिनों के कासिद वीरेन डंगवाल नहीं रहे

उजले दिनों के कासिद वीरेन डंगवाल नहीं रहे

अपनी कर्मभूमि बरेली में आज सुबह अंतिम सांसे ली, हिंदी के हस्ताक्षर कवि वीरेन डंगवाल ने। पिछले कुछ सालों से वह मुंह के कैंसर से बहादुराना लड़ाई लड़ रहे थे।
विश्व हिंदी सम्मेलन कथा

विश्व हिंदी सम्मेलन कथा

झीलों के शहर से हिंदी की सुरलहरी की अनुगूंज विश्व भर में गूंजी। देश-विदेश से आए लोग इस दिवस का हासिल है। साक्षीजनों के बीच से जो संदेश निकलकर आया, उसके अर्थ और निमित्त बहुत ही दूरगामी है।
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