दिल्ली में भविष्य में बनने वाली बड़ी सरकारी व गैर सरकारी इमारतों में वाटर हार्वेटिंग सिस्टम या छोटे एसटीपी लगाना जरूरी होगी अन्यथा पानी का कनेक्शन नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा पानी की पूर्ति के लिए पानी के संरक्षण और लीकेज रोकने की दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे।
तुगलकाबाद कंटेनर डिपो में बायोकेमिकल के रिसाव ने एक बार फिर सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, जिस कंटेनर में यह हादसा हुआ, उस पर खतरनाक कैमिकल का लेबल भी चस्पा नहीं किया गया था। यह रिसाव ज्यादा होता तो भोपाल गैस कांड जैसा हादसा हो सकता था। इस लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है, यह बड़ा सवाल है।
भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने 400 करोड़ रूपये के कथित वाटर टैंकर घोटाला मामले में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने को कहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोपों को राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया।
दिल्ली के वाटर टैंकर घोटाले में पूर्व सीएम शीला दीक्षित के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर ये एफआईआर दर्ज की गई। केजरीवाल पर 400 करोड़ रुपए के वाटर टैंकर घोटाले में जांच रिपोर्ट की फाइल को 11 माह तक दबाने का आरोप है। गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल को आरोपी बनाना इसलिए जरूरी था, क्योंकि भ्रस्टाचार को न सिर्फ छुपाया गया बल्कि आज भी उन्हीं कंपनियों को भुगतान किया जा रहा है।
अन्ना के जल संरक्षण मॉडल से उनके गांव वाले ही उनसे नाराज हो गए हैं। अन्ना के सामाजिक जीवन में शायद यह पहली बार हो रहा है। जब उनके अपने लाेगों ने ही उनका विरोध किया है। गांव के किसान वाटर लेबल में सुधार के लिए बोरवेल भरे जाने की अन्ना की मुहिम को दरकिनार करते हुए एकमत होकर कहा है कि हम हर बार अन्ना की नहीं सुनेंगे।
जल पुरुष के नाम से विख्यात, पानी के नोबल पुरस्कार माने जाने वाले स्कॉटहोम वाटर और मैगसायसाय अवॉर्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का मानना है, देश में पानी की कमी राजनेताओं की देन है और सामुदायिक विकेंद्रीय जल प्रबंधन से हालात सुधारे जा सकते हैं। आउटलुक के साथ उन्होंने पानी की समस्या और समाधान पर बात की। पेश हैं प्रमुख अंश:
दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अनुरोध किया कि वह पानी के टैंकर किराए पर लेने से जुड़े कथित घोटाले के सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दें। समझा जाता है कि इस कथित घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 400 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ।