कप्तान जार्ज बेली के 32 गेंद में नाबाद 61 रन की मदद से किंग्स इलेवन पंजाब ने मध्यक्रम में मिले झटकों से उबरते हुए मुंबई इंडियंस के खिलाफ आईपीएल के मैच में रविवार को पांच विकेट पर 177 रन बनाए।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि व्यापमं घोटाले में फंसने के बाद शिवराज सरकार अब प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को तरह-तरह से प्रताडि़त कर रही है। जबकि व्यापमं घोटाले में मुख्यमंत्राी शिवराज सिंह चौहान का नाम था लेकिन इस मामले को सीधे-सीधे राज्यपाल से जोड़ दिया गया है।
विजय कुमार 2012-14 के दौरान व्हाइट हाउस के ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी में रोबोटिक्स एवं साइबर भौतिक प्रणाली के सहायक निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं। अब वह पेन इंजीनियरिंग के अगले डीन होंगे।
देशभर के आंदोलनकारी संगठनों ने मिलकर एक नया फोरम बनाया है। फोरम का नाम ऑल इंडिया पीपल्स फोरम (एआइपीएफ) रखा गया है। इस फोरम का मुख्य मकसद साम्प्रदायिकता और कॉरपोरेट समर्थक सरकारी नीतियों का विरोध करना है।
आजकल फैशन हो गया है कि किसी विमर्श पर ध्यान लगाया जाए तो ही साहित्य 'बिकाऊ’ हो सकता है। लमही का नया अंक स्त्री विमर्श से ज्यादा उन्हें समझने और उनकी भावनाओं को सामने लाने का अंक है।
बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जीनत राम मांझी के विश्वासमत के दौरान लिए गए अपने फैसलों को सही, संवैधानिक तथा नियमानुकूल ठहराते हुए आज कहा कि यदि मांझी ने उनकी वजह से इस्तीफा दिया है तो वे स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं।
देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनायें कम ही सुनने को मिलती हैं कि एक गीत किसी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दे और सरकार को उस गीत और गीतकार के खिलाफ पूरी ताकत झोंकनी पड़ी हो। और आख़िरकार वह गीत ही सरकार का विदाई गीत बन गया हो।
बिहार में भारतीय जनता पार्टी को उस समय झटका लगा जब विधानसभा अध्यक्ष ने जद यू को मुख्य विपक्षी दल के तौर पर मान्यता दी और विजय चौधरी को विपक्ष के नेता का दर्जा दिया। जद यू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने उनका समर्थन किया।
राजधानी के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक पूर्व प्रोफेसर नागरिकों की एक अनुसंधान टीम के साथ घोर मोआवादी प्रभाव वाले एक जिले में गए जहां उनके एक पूर्व छात्र पुलिस अधीक्षक हैं। पुलिस अधिकारी की अपने पूर्व शिक्षक से मुलाकात का यह गर्वीला क्षण था, उन्होंने अपने गुरु के पांव छुए और उनके साथ अपनी तस्वीर खिंचवाई। नागरिक अनुसंधान टीम ने तब तक प्रशासन, पुलिस और सरकार समर्थित नक्सल विरोधी सशस्त्र निजी सेना का पक्ष ले लिया था इसलिए प्रोफेसर ने माओवादियों का पक्ष लेने के लिए नदी पार जाने की बात कही। इस पर शिष्य पुलिस अधीक्षक तपाक से बोले, सर, आप उस पार गए कि दुश्मन की तरफ होंगे और हमारी गोली खा सकते हैं। मैंने जानबूझकर दोनों लोगों का नाम छिपाया है ताकि एक निजी गुफ्तगू दोनों के लिए सार्वजनिक झेंप की वजह न बन जाए। लेकिन उनकी बातचीत से प्रशासन की ताजा मानसिकता पता चलती है: कि अब नक्सलवादियों के साथ निबटने में बीच की कोई जनतांत्रिक जमीन नहीं बची है। न सिविल हस्तक्षेप की कोई पहल, जैसे जयप्रकाश नारायण ने 1970 के दशक में बिहार के मुसहरी में की थी। अब प्रतिनिधि शासन और माओवादियों के बीच बस मैदान-ए-जंग है।