महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही शिवसेना ने राज्य में मल्टीप्लेक्सों में प्राइम टाइम में मराठी फिल्म दिखाने के फैसले से सरकार के पीछे हटने पर नाराजगी जाहिर की है।
आने वाली फिल्म ‘गब्बर इज बैक’ में चित्रांगदा सिंह का एक आइटम सांग है। फिल्मी दुनिया में यह बहुत ही बोल्ड ढंग से फिल्माया गया गाना है जिसके लिए चित्रांगदा ने भी सारी हदें तोड़ दी हैं। अब देखना यह है कि ‘राजा कुंडी न खड़काओ’ के लिए उनके कितने प्रशंसक अपने दिल के दरवाजे पर यह दस्तक महसूस करते हैं।
उत्तराखंड के रामनगर में दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया है। हमले में स्वतंत्र पत्रकार और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रभात को हद्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
पिछले दो महीने में दो अलग-अलग न्यायालयों ने आरक्षण को लेकर एक ही बात कही है। दोनों ही बार कोर्ट ने आरक्षण नीति जारी रखने को उचित कहा है लेकिन यह भी कहा है कि आरक्षण नीति में बदलाव, बल्कि इस पर सतत चिंतन की जरूरत है। यह राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मसला तो है लेकिन इस पर जो राजनीति होती रही है, उससे नीति का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। वैसे, राजनीतिक दल इसे लेकर रोटी सेंकने की जब भी कोशिश करते हैं, उनके हाथ में फफोले ही पड़े हैं। यह तो सब जानते ही हैं कि मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने वाली वीपी सिंह सरकार लौटकर सत्ता में नहीं आई।
कई दिनों से सोशल नटवर्किंग साइट्स पर आम आदमी पार्टी चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल ही में एक अखबार ने दावा किया कि अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास महिला वालंटियर के साथ हमबिस्तर होते थे। उस वक्त इससे संबंधित जानकारी अरविंद केजरीवाल को ईमेल भी की गई थी। तमाम तरह के विवाद सोशल मीडिया की नजर से -
भारत के नामचीन फैशन डिजायनरों में शुमार रितु कुमार, रोहित बल और सब्यसाची समेत लगभग 25 मशहूर डिजायनर मुंबई में हुए अमेजन इंडिया फैशन वीक के 25वें संस्करण के समापन पर साथ आए।
आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।