किसान की खुदकुशी सहित देश में किसानों की आत्महत्या को लेकर संसद के दोनों सदनों में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ। जिसके कारण दोनों सदनों को कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कुछ सदस्यों की ओर से प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए दिये गये नोटिस को अस्वीकार करते हुए 12 बजे इस विषय पर चर्चा कराने और फिर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बात रखने की व्यवस्था दी।
बेशक विकास के लिए भूमि जरूरी है। देश को ज्यादा से ज्यादा उद्योगों, सड़कों, बिजली, रेल, अस्पतालों, स्कूलों और मकानों की जरूरत है। लिहाजा, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होनी चाहिए। जिनसे जमीन ली जाए उन्हें उचित मुआवजा और विकास में हिस्सेदारी मिलनी ही चाहिए। लेकिन क्या मोदी सरकार की ओर से लाया जा रहा भूमि अधिग्रहण विधेयक, 2015 इस मामले में खरा उतरता है? वास्तव में नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भाजपा के सांसदों को सियासत के गुण सिखाएं। प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा कि सरकार के कामकाज को जनता के बीच पहुंचाए और विपक्ष के झूठ का करारा जवाब दें।
केंद्र सरकार ने अपना रुख कड़ा करते हुए संकेत दिया कि वह विवादास्पद भूमि विधेयक में आगे संशोधनों की इजाजत नहीं देगी और इस बात पर जोर दिया कि वह नतीजों का सामना करने के लिए तैयार है। संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने पीटीआई-भाषा से कहा, सरकार ने जरूरी संशोधन किए हैं।
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विपक्षी दलों पर झूठ फैलाकर राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप लगाया और कहा कि वह किसानों के हितों का संरक्षण करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
भूमि विधेयक पर आलोचनाओं से घिरी भाजपा ने आज कहा कि वह इस मुद्दे पर वार्ता में किसानों को शामिल करने और विपक्ष द्वारा फैलाए गए भ्रम और दुष्प्रचार को दूर करने के लिए व्यापक पैमाने पर संपर्क कार्यक्रम चलाएगी। पार्टी ने यह भी कहा है कि वह विपक्षी दलों और किसानों द्वारा सुझाए कुछ बदलावों को मानने के लिए तैयार है।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की समय सीमा समाप्त होने से एक दिन पहले सरकार ने इसे फिर से जारी कर दिया। इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक को राज्यसभा में विपक्ष के कड़े प्रतिरोध के कारण पारित नहीं करा पाने के कारण सरकार ने अध्यादेश को फिर से जारी किया।
केंद्र सरकार को आज राज्यसभा में विपक्षी दलों में फूट डालकर खान और खनिज विधेयक तथा कोयला खनन विधेयक पारित करवाने में सफलता मिली। ये दोनों विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारपोरेट विकास के लिए बहुत अहम थे और इन्हें पारित कराना उनके लिए बड़ी चुनौती भी थी।