यह कोई लंबे चाकुओं वाली रात (नाईट ऑफ लॉन्ग नाईव्ज) नहीं थी। इस बार यह सबको पता था। यूनान के यूरोजोन से बाहर हो जाने को रोकने के लिए एक समाधान निकाल लिया जाएगा, यह और कुछ नहीं सिर्फ एक भोली भाली सोच थी। जैसे ही यूनान के अनियत मार्क्सवादी वित्त मंत्री यानिस वारूफकिस ने अपना पद छोड़ा तो स्टॉक बाजार और मुद्रा विनीमय केंद्र को समझ में ही नहीं आया कि कैसी प्रतिक्रिया दें, राहत मिलने की या घबराहट या गुस्से और खुशी वाली कि सबसे बुरा दौर खत्म हो गया है।
भारत में भले ही मनरेगा के बजट में कटौती और इसे कमजोर करने की कोशिशों पर बहस छिड़ी है लेकिन वर्ल्ड बैंक ने इसे विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक निर्माण योजना माना है।
जहां तक यूनान के मौजूदा संकट का सवाल है, इससे जुड़े मजाक की भी अपनी-अपनी विचारधाराएं हैं। एक प्रचलित चुटकुले का पूंजीवादी संस्करण इस प्रकार है। डच होने की पहचान यह है कि एक रेस्तरां में एक टेबल पर साथ में खाना खाए लोग मिलकर बिल का भुगतान करते हैं जबकि ग्रीक होने का मतलब है खाना खा लेने और शराब पी लेने के बाद जब सभी उठते हैं तो पता चलता है कि बिल देने के लिए किसी के पास पैसे नहीं हैं। इसी लतीफे का समाजवादी संस्करण यह है कि जिन लोगों ने खाने का आर्डर दिया है उन्हें पता चलता है कि उनका खाना रेस्तरां का मालिक खा गया और अब बिल उनको भरना है।
मौसम विभाग के अनुमानों पर पानी फेरता हुए मानसून पिछले हफ्ते भर से श्रीलंका के आसपास ठहरा हुआ है। मौसम विभाग ने अब 4 जून तक मानसून के केरल तट पर पहुंचने की उम्मीद जताई है।
वर्ष 2014-15 की आखिरी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की विकास दर बढ़कर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई है जबकि पूरे वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.3 फीसदी रही है। जबकि इससे पहले साल संशोधित विकास दर 6.9 फीसदी रही थी।