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प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
जनगणना के धर्म संबंधी आंकड़े जारी, जाति के लिए अभी इंतजार

जनगणना के धर्म संबंधी आंकड़े जारी, जाति के लिए अभी इंतजार

केंद्र सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए लेकिन अभी जाति आधारित जनगणना के नतीजे नहीं जारी हुए। जबकि कई राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं।
मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को  लिखा पत्र

मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को लिखा पत्र

केंद्र सरकार ने सर्कुलर निकाल कर जिस तरह से पत्रकारों को सरकारी अधिकारियों से सीधे मिलने में रोक लगाई है, उस पर प्रेस परिषद से बकायदा पत्र लिख, अपनी चिंता का इजहार किया है
कांटों के बीच अपनों की चिंता

कांटों के बीच अपनों की चिंता

मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
8 कैच लेकर रहाणे ने बनाया विश्‍व रिकॉर्ड

8 कैच लेकर रहाणे ने बनाया विश्‍व रिकॉर्ड

श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए भारत ने एक और कारनामा कर दिखाया है। भारतीय बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ने इस टेस्ट में आठ कैच लेते हुए ऐसा करने वाला पहला नॉन-कीपर खिलाड़ी बनने का विश्व कीर्तिमान बनाया लिया। भारत ने श्रीलंका को दूसरी पारी में 367 रन पर समेट दिया है और अब उसे सिर्फ 176 रन बनाने हैं।
आजाद हिंदुस्तान में महिलाओं की कानूनी बेड़ियां | इंदिरा जयसिंह

आजाद हिंदुस्तान में महिलाओं की कानूनी बेड़ियां | इंदिरा जयसिंह

अगर आजादी का मतलब विदेशी हुकूमत से आजादी है तो वह यकीनन हमने हासिल कर ली। लेकिन सवाल यह है कि क्या महिलाओं को परंपराओं-मान्यताओं की जकड़न से आजादी मिली ? या पुराने पड़ चुके कानूनों ने उन्हें दूसरे तरह की जकड़न में बांध दिया है, आजाद हिंदुस्तान के कानूनों की बेड़ियां ?
अब महिला ने कुमार विश्वास पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप

अब महिला ने कुमार विश्वास पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप

आप नेता कुमार विश्‍वास के खिलाफ दिल्‍ली महिला आयोग में शिकायत करने वाली महिला ने अब उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की है।
भारत ने जीती सस्‍ते आयोडिन नमक के पेटेंट की जंग

भारत ने जीती सस्‍ते आयोडिन नमक के पेटेंट की जंग

यह 21वीं सदी का नमक सत्याग्रह है जिस पर महात्मा गांधी को भी गर्व होता। भारत ने आयोडिन युक्त नमक उत्पादन को लेकर एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ पेटेंट की लड़ाई जीत ली है। नमक को लेकर यह लड़ाई भावनगर की एक सरकारी प्रयोगशाला ने जीती और दैनिक उपभोग के आयोडिन युक्त नमक बनाने के पेटेंट का नियंत्रण बहाल कर लिया। इस लड़ाई में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को मात मिली।
संतई के बहाने ‘पदवियों’ का कारोबार

संतई के बहाने ‘पदवियों’ का कारोबार

हाल के दिनों की कुछ घटनाओं का आधार मान लें तो हिंदू संतों की जिंदगी सवालों के घेरे में है। जो सेवा, त्याग, तपस्या का दम भरते थे, वे सिक्कों की खनखनाहट के फेर में पड़ने से लेकर संदिग्ध लोगों तक को पदवियां बांटने में जुटे हुए दिख रहे हैं। संतई एक भरा-पूरा कारोबार नजर आ रही है। नाम, पहचान, भगवान से लेकर पद-परंपरा तक, सब कुछ बिकने वाली चीजों में शुमार हो गए हैं। ऐसे हालात में आस्था और भरोसा कहीं कोने में दुबक कर सिसक रहे हैं। संतों का कारोबार लगातार तरक्की कर रहा है और जिंदगी की दुश्वारियों से परेशान लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में उनके शरणागत हो रहे हैं।
नगा समझौते से आगे की चुनौतियां

नगा समझौते से आगे की चुनौतियां

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आई एम) के साथ शांति समझौता अशांत उत्तर पूर्व के, खासकर मणिपुर के टंखुल नगा बहुल इलाके में जहां उपरोक्त गुट का आधार है, एक हिस्से में शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसके बाद अभी बहुत-सी जटिलताएं और चुनौतियां बाकी हैं। एनएससीएन (आईएम) का जनाधार नगालैंड के पड़ाेसी राज्यों में ज्यादा होने की वजह से असम और मणिपुर के एक तबके में यह आशंका बलवती हो रही है कि उनके राज्य के नगा बहुल इलाकों की बाबत किस कीमत पर फैसला हुआ है।
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