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CJI चंद्रचूड़ ने व्यक्तियों के लिए विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता की वकालत की

CJI चंद्रचूड़ ने व्यक्तियों के लिए विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता की वकालत की

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मुकदमेबाजी के अलावा विवाद समाधान के एक तरीके के रूप में...
केंद्र का राज्यों को निर्देश- अंतरराज्यीय और राज्यों के अंदर लोगों और सामान के आवागमन पर न लगाएं पाबंदी

केंद्र का राज्यों को निर्देश- अंतरराज्यीय और राज्यों के अंदर लोगों और सामान के आवागमन पर न लगाएं पाबंदी

देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र ने अनलॉक 3.0 लागू हो गया है, लेकिन कुछ राज्य में अब भी...
आठ व्यक्तियों के पास उतनी संपत्ति, जितनी दुनिया की आधी आबादी के पास है : ऑक्सफेम

आठ व्यक्तियों के पास उतनी संपत्ति, जितनी दुनिया की आधी आबादी के पास है : ऑक्सफेम

दावोस में विश्व आर्थिक मंच की शुरूआत से पहले, ऑक्सफेम ने आज कहा कि आठ व्यक्तियों के पास उतनी संपत्ति है जितनी दुनिया की आधी आबादी के पास है और इससे हमारे समाजों में विभाजन का खतरा पैदा होता है।
अन्य व्यक्तियों के खातों का उपयोग करना पड़ सकता है भारी

अन्य व्यक्तियों के खातों का उपयोग करना पड़ सकता है भारी

दूसरे के खाते में अगर आपने काला धन जमा कराया तो सरकार आपके खिलाफ कड़ा कदम उठा सकती है। इस उद्देश्‍य के लिए अपने बैंक खातों के दुरुपयोग की अनु‍मति देने वाले लोगों पर उकसाने के लिए आयकर अधिनियम के तहत मुकदमा चल सकता है। इसलिए सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे काले धन को परिवर्तित करने वालों के लालच में न आएं और इस तरीके से काले धन को सफेद करने के अपराध में भागीदार न बनें तथा इसे समाप्‍त करने में सरकार से जुड़कर उसकी मदद करें।
मुकेश अंबानी, प्रेमजी, सांघवी विश्व के 50 सबसे अमीर व्यक्तियों में

मुकेश अंबानी, प्रेमजी, सांघवी विश्व के 50 सबसे अमीर व्यक्तियों में

तीन भारतीयों - रिलायंस इंडस्टीज के मुकेश अंबानी, विप्रो के अजीम प्रेमजी और सन फार्मा के दिलीप सांघवी विश्व के 50 सबसे अमीर लोगों की सूची में हैं। इस सूची में माइक्रो साफ्ट के बिल गेट्स शीर्ष पर हैं।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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