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आजाद भारत में किसी महिला को होगी फांसी, जाने हर बार बक्सर की रस्सी क्यों होती है इस्तेमाल

आजाद भारत में किसी महिला को होगी फांसी, जाने हर बार बक्सर की रस्सी क्यों होती है इस्तेमाल

आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जा रही है। 2008 में यूपी में अमरोहा के बावनखेड़ी में...
अल्पसंख्यक समुदाय पर हमलों के विरोध में शबनम हाशमी ने लौटाया अवार्ड

अल्पसंख्यक समुदाय पर हमलों के विरोध में शबनम हाशमी ने लौटाया अवार्ड

देश में हिंसक भीड़ द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की बढ़ती घटनाओं के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार अवार्ड लौटा दिया है।
‘डींगरहेड़ी कांड को कमजोर करने की साजिश’

‘डींगरहेड़ी कांड को कमजोर करने की साजिश’

बीते दिनों हरियाणा के मेवात (डींगरहेड़ी) इलाके में बलात्कार, लूट और हत्या की हुई वारदात से जुड़े जानकारों और पीड़ित पक्ष का कहना है कि जिला प्रशासन इस मामले में कमजोर धाराएं लगाकर उसे कमजोर कर रहा है। मामले की दिल्ली में पैरवी कर रहे राज्यसभा सांसद अली अनवर और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने एक प्रैस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि उनकी मांग है कि जांच के लिए मामला सीबीआई के सुपुर्द किया जाए।
आगरा में मुस्लिम विरोधी बयानों के खिलाफ आवाज बुलंद

आगरा में मुस्लिम विरोधी बयानों के खिलाफ आवाज बुलंद

संसद के गलियारों से लेकर सड़क तक भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं द्वारा दिए गए अल्पसंख्यकों पर हिंसा करने वाले वक्तव्यों की आलोचना
आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

आजादी विशेष | निजी कानून से निजात की छटपटाहट

मुसलमान औरत के दिल में आजादी की तड़प की थाह लेने की जब-जब कोशिश की गई है तो भीतर ज्वालामुखी की तपिश को महसूस किया गया। वे भी यह जताने को बेसब्र हैं कि वे भी मुकम्‍मल आजादी की तलबगार हैं। वे नहीं चाहतीं कि उनके शौहर को एक से अधिक निकाह करने का हक हो। वे तलाक-तलाक-तलाक यानी मुंह जबानी तलाक के खिलाफ हैं।
मेहरबानी सरकार की

मेहरबानी सरकार की

गुजरात में बहुत से लोगों के लिए केंद्र सरकार के एक साल पूरा होते न होते अच्छे दिन आ गए हैं। जिनके दिन और रात पहले से काले थे, उन्हें अब अमावस्या में जीने की सलाह दी जा रही है। आज की वारीख में चाहे वह इशरत जहां का फर्जी एनकाउंटर का मामला हो या सोहराबुद्दीन की हत्या का, सब मामलों में तमाम आरोपियों को जेल से मुक्ति, मुकदमों से मुक्ति की राह निकल पड़ी है। दोषियों, आरोपियों की रिहाई की यह रेल जिस तेजी से चल रही है, उसमें 2002 गुजरात नरंसहार के दोषियों को भी मुक्ति की आस बंध गई है।