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व्यापम घोटाला: कोर्ट की शरण में राज्यपाल

व्यापम घोटाला: कोर्ट की शरण में राज्यपाल

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने व्यापमं घोटाले में राज्य के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर आज अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय मांगी। प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये दायर याचिका में राज्यपाल ने तर्क दिया है कि संवैधानिक पद पर होने के कारण उन्हें संरक्षण प्राप्त है।
व्यापम घोटाला: अदालत की शरण में राज्यपाल

व्यापम घोटाला: अदालत की शरण में राज्यपाल

व्यापवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले में जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसटीएफ) द्वारा एफआइआर दर्ज करने के बाद राज्यपाल रामनरेश यादव ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की शरण ली है।
दामन पर लग ही गया दाग

दामन पर लग ही गया दाग

मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के दामन पर आखिरकार दाग ही लग गया। अपने पूरे राजनीतिक जीवन में यादव दावा करते रहे कि उन्होने कोई गलत काम नहीं किया है लेकिन अब एक घोटाले ने उनके दावे को गलत करार दिया।
राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित करोड़ों रुपये के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में कथित रूप से नाम आने पर अंतत: विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली।
नीतीश के हाथ फिर बिहार

नीतीश के हाथ फिर बिहार

बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। जीतनराम मांझी के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को राजभवन बुलाकर मुख्यमंत्री बनने का न्योता दिया है।
नीतीश को राज्यपाल पर भरोसा क्यों नहीं?

नीतीश को राज्यपाल पर भरोसा क्यों नहीं?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) नेता नीतीश कुमार को राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पर भरासा नहीं। वह राज्यपाल की शिकायत करने राष्ट्रपति के पास दिल्ली पहुंचे हैं।
शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।
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