टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा पावर ने 4000 मेगावॉट वाले मूंदड़ा पावर प्रोजेक्ट को सिर्फ 1 रुपये में बेचने का प्रस्ताव रखा है। टाटा पावर ने यह प्रस्ताव गुजरात जैसे राज्यों के सामने रखा है, जो उससे बिजली खरीदते हैं।
पटना में गंगा को स्वच्छ रखने के प्रयास के तहत शहर में सक्षम सीवेज ट्रीटमेंट ढांचा तैयार करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 1050 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी का बड़ा फैसला लिया गया है। यह राशि दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने, मौजूदा एसटीपी के नवीनीकरण, दो पंपिंग स्टेशनों के निर्माण और लगभग 400 किलोमीटर तक का नया भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने पर खर्च की जाएगी।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने अपने ऊपर लगे घोटाले के आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि जिन्होंने भी इस तरह की खबर प्लांट की है वो जूते खाएंगे। रिजिजू ने कहा कि विकास को घोटाला कहना हास्यास्पद है। अरुणाचल प्रदेश में एक बड़े हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए बनने वाले 2 बांध में 450 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप रिजिजू पर लगा है।
अमेरिका द्वारा क्यूबा पर लगाए गए कड़े व्यापार प्रतिबंध को खत्म करने के संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव पर मतदान में अमेरिका ने हिस्सा नहीं लिया, जबकि भारत समेत अन्य राष्ट्रों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया।
गुजरात के एक सार्वजनिक उपक्रम जीएमडीसी के साथ काम करने वाली दक्षिण कोरियाई कंपनी ने कथित तौर पर भारत माता की जय का नारा लगाने के लिए एक भारतीय कर्मचारी को नोटिस जारी किया है।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
देश में हर बात के लिए नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने वाले अरविंद केजरीवाल ने शुक्र है दिल्ली में बिजली संकट के लिए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा नहीं किया है बल्कि दिल्ली में बिजली वितरण के लिए जिम्मेदार कंपनी बीएसईएस यमुना और बीएसईएस राजधानी के मालिक अनिल अंबानी को तलब कर लिया है। हालांकि अभी यह पता नहीं चला है कि बिजली वितरण करने वाली तीसरी कंपनी टाटा पावर के मुखिया साइरस मिस्त्री को तलब किया गया है या नहीं।
एक तरफ महाराष्ट्र लगातार सूखे से जूझ रहा है, दूसरी तरफ ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट ‘द ग्रेट वाटर ग्रैब-हाउ द कोल इंडस्ट्री इज डिपनिंग द ग्लोबल वाटर क्राइसिस’ में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि अकेले महाराष्ट्र में कोयला पावर प्लांट्स इतनी अधिक मात्रा में पानी का खपत करता है जो हर साल लगभग सवा करोड़ लोगों के लिये पर्याप्त है।