नेपाल में संविधान निर्माण की प्रक्रिया अब तक अधर में लटकी है। इस बीच सत्ताधारी कांग्रेस-एमाले गठबंधन और यूसीपीएन माओवादी के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं।
नेपाल में नया गणतांत्रिक संविधान बनाने की प्रक्रिया राजनीतिक पार्टियों के दांव-पेंच में उलझी पड़ी है। मुख्य तौर पर नेपाली कांग्रेस, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और माओवादियों के बीच नये संविधान को लेकर कुछ गहरी असहमतियां हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और यूनीफाइड कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के नेता बाबू राम भट्टाराई ने भारत यात्रा के दौरान एक बातचीत में अपनी पार्टी का पक्ष आउटलुक के सामने रखा।
मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आज नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में नये शासन में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी है और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश से हजारों भारतीयों के जबरन बेदखली का खतरा पैदा हो गया है।
जम्मू-कश्मीर में अभी सरकार बनी नहीं लेकिन सवाल उठने लगे कि यह सरकार कब तक चलेगी। क्योंकि दोनों दलों ने समझौते के तहत असली मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया जिस पर भाजपा और पीडीपी को अलग-अलग रुख था।
संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों के होने या नहीं होने पर चर्चा कराने के केंद्र सरकार के सुझाव पर राजग के घटक दल पीएमके ने आलोचना की है। इससे पहले सरकार में सहयोगी शिवसेना ने प्रस्तावना से उक्त शब्दों को हटाने की मांग की थी जिस पर चिंता जताई गई है।
छह साल से ज़्यादा वक़्त बीतने के बाद भी नेपाल में स्थाई संविधान बनने की सूरत नज़र नहीं आ रही है. बाईस जनवरी को संविधान निर्माण की तय समय सीमा के खत्म होने के बाद वहां राजनीतिक संकट और गहरा गया है। इसके दो दिन पहले मतभेद के चलते संसद में मारपीट तक की नौबत आ गई।