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Search Result : "संसदीय कार्य राज्यमंत्री"

फाइनेंस से हटाकर एविएशन में क्यों भेजा गया जयंत सिन्हा को

फाइनेंस से हटाकर एविएशन में क्यों भेजा गया जयंत सिन्हा को

कभी अति सक्रियता और कभी संयम खोकर लक्ष्मण रेखा पार कर जाना। स्मृति ईरानी की तरह इसी कारण संघ की नाराजगी के चलते जयंत सिन्हा का भी विभाग बदला। उनके मामले में एक अतिरिक्त तथ्य यह भी रहा कि उन्होंने कॉरपोरेट घरानों की लॉबी को नाराज कर रखा था। उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण मंत्रालय नागर विमानन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाकर भेजा गया। हालांकि, स्मृति ईरानी के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कपड़ा मंत्रालय में बदली की चर्चा के बीच जयंत सिन्हा का विभाग बदले जाने की बात दब गई।
इंदौर से चलेंगी दो नई ट्रेनें, रेल राज्यमंत्री दिखाएंगे हरी झंडी

इंदौर से चलेंगी दो नई ट्रेनें, रेल राज्यमंत्री दिखाएंगे हरी झंडी

रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से केरल के कोचूवेली और महाराष्ट्र के पुणे को जोड़ने वाली दो नई एक्सप्रेस ट्रेनों को कल 28 जून को हरी झंडी दिखाएंगे।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
संसदीय कमेटी करे क़ैराना की जांच : केसी त्यागी

संसदीय कमेटी करे क़ैराना की जांच : केसी त्यागी

उत्तर प्रदेश की राजनीति को गरमा देने वाले क़स्बे क़ैराना में कुछ सांसदो के साथ दौरा कर लौटे जेडीयू के राज्यसभा सदस्य केसी त्यागी दावा करते हैं कि क़ैराना से पलायन के दावे सरासर बकवास हैं । बक़ौल उनके, विधानसभा चुनावों की आहट से भाजपा बेचैन है और इसीलिए हवाई मुद्दे गढ़ रही है । पेश है केसी त्यागी से रवि अरोड़ा की इसी मुद्दे पर हुई खास बातचीत के कुछ अंश -
चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

चर्चाः सिंहासन पर बैठ कांव कांव | आलोक मेहता

सांसद, विधायक, मुख्यमंत्री लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके कर्म-वचन जनता के हित के लिए होने चाहिए। सिंहासन पर बैठकर कांव कांव करना उन्हें शोभा नहीं देता। पेड़, शाखा, गांव, शहर और मंच पर छलांग लगाते हुए उन्हें अलग-अलग बातें नहीं करनी चाहिए।
संकट में घिरे केजरीवाल इतिहास बताने लगे

संकट में घिरे केजरीवाल इतिहास बताने लगे

अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर लाभ के पद के मामले में घिरे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब इस बारे में पूर्व के उदाहरणों का सहारा लेकर अपने विधायकों की कुर्सी बचाने की कोशिश में लग गए हैं। केजरीवाल ने बुधवार को मीडिया के सामने सवाल उठाया कि दिल्ली में कांग्रेस और भाजपा सरकारों के समय ऐसी ही नियुक्तियां संवैधानिक थीं तो अब उनकी सरकार के समय यह असंवैधानिक कैसे हो गईं?
संसदीय सचिव मामला: कांग्रेस ने मांगा केजरीवाल का इस्तीफा

संसदीय सचिव मामला: कांग्रेस ने मांगा केजरीवाल का इस्तीफा

कांग्रेस ने संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किए गए 21 आप विधायकों की सदस्यता खत्म करने के साथ ही नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी इस्तीफा मांगा है।
संसदीय सचिव मुद्दे पर बिफरी आप

संसदीय सचिव मुद्दे पर बिफरी आप

दिल्ली में 21 विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किए जाने का मुद्दा आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए गले की फांस बन गया है। एक ओर जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बारे में दिल्ली सरकार द्वारा पारित करवाए गए विधेयक पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है वहीं आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है।
अखिलेश बोले, समाजवादी नहीं होते तो गरीबों को एंबुलेंस नहीं मिलती

अखिलेश बोले, समाजवादी नहीं होते तो गरीबों को एंबुलेंस नहीं मिलती

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि उन्होंने अपने शासनकाल में प्रदेश को बर्बाद कर दिया। अखिलेश ने यह भी कहा कि सूबे में मेरे जैसा काम किसाी सीएम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यूपी की सड़क एम्बुलेंस और डायल 100 का मुकाबला नहीं। डायल करो और 10 मिनट में पुलिस और एम्बुलेंस आपके पास हाजिर हो जाती है।
प्रसार भारती के सीईओ को शो-कॉज की अन्तर्कथा

प्रसार भारती के सीईओ को शो-कॉज की अन्तर्कथा

प्रसार भारती के चेयरमैन ए. सूर्यप्रकाश द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर सरकार को शो- कॉज नोटिस दिए जाने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की एक बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी को नहीं भेजे जाने को लेकर जवाहर सरकार को शो-कॉज किया गया। सूर्य प्रकाश वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं और उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घनिष्ठ माना जाता है।
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