![‘प्रबंधकाव्य न भी मानें, तो एक काव्यप्रबंध है इंद्रप्रस्थ में’](https://outlookhindi-assets.s3.ap-south-1.amazonaws.com/public/uploads/article/gallery/ce39627cf2cfe9005e6a45a85d2b1954.jpg)
‘प्रबंधकाव्य न भी मानें, तो एक काव्यप्रबंध है इंद्रप्रस्थ में’
‘महाभारत के बहाने आज की नारी की संघर्षगाधा को शब्द देती है, वरिष्ठ कवि उपेन्द्र कुमार की काव्य-कृति इंद्रप्रस्थ ।’ कल शाम पुस्तक मेला के सेमिनार मंच पर कृति-चर्चा में शामिल विद्वान वक्ताओं ने कहा।