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भाजपा ने पहनाई अखबारों को जैकेट

भाजपा ने पहनाई अखबारों को जैकेट

विधानसभा चुनाव के अंतिम दिनों में भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली के दैनिक समाचार पत्रों को जिस तरह से जैकेट पहनाई उसे लेकर कई सवाल उठे हैं।
मोदी लहर पर 'आप' का ब्रेक?

मोदी लहर पर 'आप' का ब्रेक?

क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विजय रथ पर ब्रेक लग जाएगा। अगर एग्जिट पोल पर भरोसा करें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिख रही है।
चुनाव से पहले जारी है जोड़-तोड़

चुनाव से पहले जारी है जोड़-तोड़

चुनाव की पहली रात राजनीतिक पार्टियों के लिए कयामत की रात से कम नहीं होती है। इस रात के बीतने से पहले दिल्ली विधानसभा के लिए होने वाले चुनावों में राजनीतिक पार्टियां जीतने के लिए हर संभव हथकंडा अपना रही हैं।
भाजपा में शामिल होने पर अभी बातचीतः जयाप्रदा

भाजपा में शामिल होने पर अभी बातचीतः जयाप्रदा

समाजवादी पार्टी से निष्कासित नेता जयाप्रदा ने आज कहा कि भाजपा में शामिल होने के विषय पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत चल रही है और वह भाजपा की सेवा करना चाहती हैं न कि कोई चुनाव लड़ना चाहती हैं।
संविधान से छेड़छाड़ ठीक नहीं

संविधान से छेड़छाड़ ठीक नहीं

संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों के होने या नहीं होने पर चर्चा कराने के केंद्र सरकार के सुझाव पर राजग के घटक दल पीएमके ने आलोचना की है। इससे पहले सरकार में सहयोगी शिवसेना ने प्रस्तावना से उक्त शब्दों को हटाने की मांग की थी जिस पर चिंता जताई गई है।
केजरी के खिलाफ खुद उतरे मोदी

केजरी के खिलाफ खुद उतरे मोदी

चुनावों की घोषणा के साथ ही दिल्ली में सियासी पारा चढ़ गया है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की चुनौती को भारतीय जनता पार्टी इतनी गंभीरता से ले रही है
साक्षी पर पार्टी का चाबुक

साक्षी पर पार्टी का चाबुक

प्रतिक्रिया लेने के लिए पत्रकार उनके पास पहुंचे तो साक्षी ने पत्रकारों को ही धमका डाला और उन्हें सुधर जाने की धमकी दी। साक्षी महाराज ने मीडिया वालों से पीछा छुड़ाने के लिए पुलिस को बुला लिया। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर साक्षी महाराज ने रिपोर्टरों से कहा कि कारण बताओ नोटिस की उन्हें कोई जानकारी नहीं है
भारतीय राजनीति का बदलता चेहरा

भारतीय राजनीति का बदलता चेहरा

भारतीय राजनीति में पिछले दस-बारह वर्षों में भारी परिवर्तन आया है। मनमोहन सिंह ने अपने वित्त मंत्रीत्व काल में जिस नयी आर्थिक नीति की शुरुआत किया था उसका चक्र उनके प्रधानमंत्रित्व काल में लगभग खत्म हो गया। इन वर्षों में राजनीतिक व्यवस्था के आधारभूत दार्शनिक सिद्वांतों में भारी बदलाव आया।