सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि मार्च 2014 तक के तीन वर्षों में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है।
विकास हित में भूमि अधिग्रहण को सरकार और उद्योगों के लिए सुगम बनाने की मोदी सरकार की पहल ने मानो आग को न्यौता दे दिया है। सन 2013 का भू-अधिग्रहण कानून बदलने के अध्यादेश से देशभर में किसानों के बीच जो असंतोष फैला उसका एक नतीजा दिल्ली के ग्रामीण मतदाताओं के मतदान में दिखा, जिन्होंने भाजपा को एक भी सीट नहीं दी और जिस आम आदमी पार्टी को उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में ठुकराया था उसकी झोली भर दी।
यूपीए सरकार के दौरान पत्रकारों और कॉरपोरेट लॉबी की सांठगांठ का खुलासा वाली घटना के बाद एनडीए सरकार में इस तरह की यह पहली घटना है जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की संलिप्तता सामने आई है।
कोयला खदानों की नीलामी का दौर जारी है और अब तक वेदांता ग्रुप की कंपनी बाल्को ने चोटिया ब्लॉक के लिए 3,025 रुपये प्रति टन की सबसे ऊंची बोली लगाई है। कंपनियां बढ़-चढ़कर बोली लगा रही है ब्लॉक की नीलामी से सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की आय होने का अनुमान है।
समय 11.45, स्थान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से भरा सम्मेलन कक्ष। सबकी निगाहें कक्ष में लगे स्क्रीन पर टिकी हुई थी। चैनलों के ओबी वैनकर्मी फुटेज के लिए केबल को इधर से उधर करने में लगे हुए।
दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम का अनुमान मीडिया द्वारा किए गए तमाम सर्वेक्षण और एग्जिट पोल भी नहीं लगा पाए। हालांकि आम आदमी पार्टी की जीत का दावा ज्यादातर सर्वेक्षणों में किया गया था लेकिन बंपर जीत का अनुमान किसी ने नहीं लगाया।
सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।