हार्दिक पटेल ने पटेल आरक्षण मुद्दे पर उल्टा दांडी मार्च 13 सितंबर तक टालने का एेलान किया है। यह यात्रा कल से शुरू होने वाली थी लेकिन प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी है। हार्दिक ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार अगले रविवार तक इजाजत देने में नाकाम रहती है तब भी वह विरोध कार्यक्रम पर आगे बढ़ेंगे।
गुजरात में पटेल आंदोलन की पहचान बने हार्दिक पटेल की तर्ज पर जाट समुदाय ने भी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग तेज करने का फैसला किया है।
गुजरात में पटेल समुदाय द्वारा आरक्षण की मांग को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने समर्थन किया है। गुजरात से निकला आरक्षण का यह जिन्न विधानसभा चुनाव में भी असर डालता दिख रहा है। क्योंकि आरक्षण की मांग कर रहे पटेल समुदाय के युवा नेता हार्दिक पटेल ने बिहार में भी प्रचार करने की बात कही है। इसके बाद से बिहार की राजनीति करवट लेती दिख रही है।
वीरमगाम के मासूम से दिखने वाले 22 वर्षीय हार्दिक आरक्षण के मुद्दे पर एक ओर सरकार के निशाने पर हैं तो पिछले तीन दिनों से इन्होंने हिंदी में भाषण देकर सुर्खियां भी बटोरी हैं। अब आगे हार्दिक की क्या योजना है इस पर उन्होंने उषा चांदना से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के अंशः
पटेल आरक्षण की आग में झुलस रहे गुजरात में तनाव बरकरार है। मंगलवार से जारी संघर्ष में मरने वालों की संख्या 9 तक पहुंच गई और राज्य के कई शहरों में स्थिति पर काबू पाने के लिए सेना तैनात की गई है।
गुजरात में भड़की आरक्षण आंदोलन की आग के पीछे पुलिस की संदिग्ध भूमिका के सबूत हाईकोर्ट को सौंपे गए हैं। सीसीटीवी कैमरे से पता चला है कि मंगलवार को हुई पटेल समुदाय की रैली के बाद पुलिस ने किस तरह तोड़फोड़ शुरू कर दी थी।
प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज और हार्दिक पटेल को हिरासत में लेने के बाद गुजरात में पटेल आंदोलन हिंसक हो गया। कई शहरों में हिंसक झड़पों और आगजनी के बाद देर रात कर्फ्यू लगाना पड़ा। स्थिति पर काबू पाने के लिए अर्धसैनिक बलों की मदद ली जा रही है। गुजरात के प्रमुख शहरों में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है।
गुजरात में अराजकता का नया चेहरा उभरकर सामने आया है जिसकी भाषा तोगड़िया सी है और कार्यशैली केजरीवाल जैसी। जो बंदूक और रिवॉल्वर से प्यार करता है और जिसके समर्थक ओडी तथा मर्सिडीज में बैठकर आरक्षण मांगने आते हैं। कानून उनके लिए कुछ भी नहीं है, अगर उन्हें मनमानी करने से रोका जाता है तो दंगा-फसाद से भी परहेज नहीं करते हैं।