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Search Result : "सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना"

हाशिये के वर्गों के लिए बजट आवंटन बढ़ा

हाशिये के वर्गों के लिए बजट आवंटन बढ़ा

केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्‍तुत करते हुए कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन‍जातियों और अल्‍पसंख्‍यकों की कल्‍याण योजनाओं के कार्यान्‍वयन पर विशेष महत्‍व दे रही है।
आर्थिक समीक्षा की खास बातें

आर्थिक समीक्षा की खास बातें

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने अपेक्षाकृत निम्‍न मुद्रास्‍फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्‍यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्‍म आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली आज संसद में प्रस्‍तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा की कुछ खास बातें इस प्रकार की हैं।
नोटबंदी भाजपा का आर्थिक जुआ, यूपी का चुनाव असली परीक्षा: संजय बारू

नोटबंदी भाजपा का आर्थिक जुआ, यूपी का चुनाव असली परीक्षा: संजय बारू

नोटबंदी को भाजपा नीत केंद्र सरकार का आर्थिक जुआ करार देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने कहा कि उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधानसभा चुनाव के नतीजे इस योजना की सफलता की असली परीक्षा होंगे।
जेटली ने आर्थिक नरमी को खारिज किया, कर संग्रह में वृद्धि का दिया हवाला

जेटली ने आर्थिक नरमी को खारिज किया, कर संग्रह में वृद्धि का दिया हवाला

सरकार ने नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था में नरमी आने की चिंताओं को खारिज कर दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर अवधि में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर वसूली में अच्छी वृद्धि हुई है। इससे विनिर्माण क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने का संकेत मिलता है।
भाजपा को अपने खातों का खुलासा कर उदाहरण पेश करना चाहिए : ज्यां ड्रेज

भाजपा को अपने खातों का खुलासा कर उदाहरण पेश करना चाहिए : ज्यां ड्रेज

प्रसिद्ध विकास अर्थशास्त्री ज्यां ड्रेज ने कहा है कि नोटबंदी का वंचित तबके विशेषरूप से दिहाड़ी मजदूरों पर काफी गंभीर असर होगा। यह प्रभाव कहीं अधिक बुरा तथा अनुमान से अधिक समय तक बना रहेगा।
चुनावी खेल में मीडिया के माथे पर जाति-धर्म का टीका

चुनावी खेल में मीडिया के माथे पर जाति-धर्म का टीका

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा जाति, धर्म, संप्रदाय के नाम पर वोट मांगे जाने को अवैध करार दिया। अब पांच राज्य विधान सभाओं का चुनावी बिगुल बज गया है। उम्मीदवार न सही वर्षों से जाति-धर्म के झंडे-डंडे लेकर चुनावी अखाड़े में शक्ति प्रदर्शन करने वाले आसानी से पीछे नहीं हटने वाले हैं।
नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में आ सकती है अस्थायी मंदीः प्रणब

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में आ सकती है अस्थायी मंदीः प्रणब

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि नोटबंदी के बाद आर्थिक मंदी के कारण गरीबों को होने वाली अपरिहार्य परेशानियों को दूर करने के लिए अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन से वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यपालों और उपराज्यपालों से कहा कि कालेधन को समाप्त करने और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए लागू नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में अस्थायी मंदी आ सकती है।
सेना के 12,000 पोर्टरों की मदद के लिए मोदी सरकार को निर्देश

सेना के 12,000 पोर्टरों की मदद के लिए मोदी सरकार को निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जोखिम भरे इलाकों में सेना के लिए काम करने वाले सहायकों :पोर्टर: को बेहतर भुगतान, चिकित्सा सुविधा, बढ़ी हुई आर्थिक सहायता और सेवा से अलग होने की स्थिति में 50,000 रूपये की प्रस्तावित राशि से अधिक का अनुदान देने के लिए एक योजना तैयार करे।
धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना गलत : सुप्रीम कोर्ट

धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना गलत : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगा जाना चुनाव कानून प्रावधान के तहत भ्रष्ट तरीका है। जनप्रतिनिधि कानून में भ्रष्ट तरीके को परिभाषित करने वाली धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द उसका धर्म के संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और तीन अन्य न्यायाधीशों ने तीन के मुकाबले चार के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इसका यह अभिप्राय मतदाताओं, उम्मीदवारों और उनके एजेंटों आदि समेत सभी के धर्म और जाति से है।
सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
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