सुरेश प्रभु ने सुझाव दिया है कि कुछ ट्रेनों के नाम साहित्यकारों के नाम पर रखे जाएं। इसमें न सिर्फ लेखक को, बल्कि वह जिस इलाके का है उसे भी तरजीह दी जाएगी।
साहित्य अकादेमी, दिल्ली ने अपने महत्वपूर्ण ‘भाषा सम्मान’ के लिए वेद-वेदांगों, महाभारत आदि पुरा महाकाव्यों के विद्वान प्रो. मधुकर अनंत मेहेंदले और डॉ. अमृत सोमेश्वर का चयन किया है। वर्ष 1996 में शुरू हुआ यह सम्मान तीन दशक पूरा कर चुका है।
पहाड़ों की रानी मसूरी में एक कश्मीरी व्यापारी की दुकान उस समय जबरन बंद करवा दी गई, जब यह देख्ाा गया कि उस व्यापारी की फेसबुक पोस्ट में पाकिस्तानी सेना की तारीफ की गई है।
छत्तीसगढ़ी मातृभाषा की लड़ाई अब देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच के सयुंक्त तत्वावधान में बुधवार को बड़ी संख्या में लोग सत्याग्रह के लिए एकजुट हुए।