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मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

मार्च फॉर इंडिया: इस विरोध के मायने क्या हैं

इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक एक हुजूम नारे लगाता चल रहा है। इसे सोशल मीडिया ने कलबुर्गी-पानसरे की हत्या के पक्ष में भी देखा। लेकिन वहां ‘राष्ट्रवादियों’ ‘संघियों’ और ‘भक्तों’ के अलावा भी कई लोग भारत के लिए आए थे।
तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में एक दलीय शासन की वापसी

तुर्की में राष्ट्रपति रीसेप तयैप अरडोगन के नेतृत्व वाली जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) को बड़ी जीत मिली है। इसके साथ ही तुर्की में एक बार फिर से एकल पार्टी शासन की वापसी हो गई है।
रहस्य नहीं रहेगा तारों का चुंबकीय क्षेत्र

रहस्य नहीं रहेगा तारों का चुंबकीय क्षेत्र

वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसा तरीका इजाद किया है जिसमें मेडिकल अल्ट्रासाउंड जैसी एक तकनीक का इस्तेमाल कर कंपायमान विशालकाय तारों के भीतर चुंबकीय क्षेत्र की मौजूदगी का पता लगाया जा सकता है।
नए अंदाज में आगाज

नए अंदाज में आगाज

सफलता नए विचारों से इतर भी कई चीजों में निहित है। कुछ सफल उद्यमियों का सफर आैर अनुभव पेश है
‘फॉर शी’ अभियान के राजदूत अनुपम खेर

‘फॉर शी’ अभियान के राजदूत अनुपम खेर

नामी भारतीय अभिनेता अनुपम खेर को लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र के अभियान के लिए दूत बनाया गया है। महिलाओं और लड़कियों के विरूद्ध असमानता के खिलाफ खड़े होने के लिए पुरूषों और लड़कों से आगे आने का आह्वान करने के लिए अनुपम खेर ने विश्व निकाय से तालमेल किया है।
कुंद्रा-मयप्‍पन आजीवन बैन, CSK-RR दो साल के लिए बाहर

कुंद्रा-मयप्‍पन आजीवन बैन, CSK-RR दो साल के लिए बाहर

मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले में राजस्‍थान रॉयल्‍स और चेन्‍नई सुपरकिंग्स पर दो-दो साल का प्रतिबंध लगा है जबकि इन टीमों से जुड़े राज कुंद्रा व गुरुनाथ मयप्‍पन को आजीवन बीसीसीआई के क्रिकेट मैचों में शामिल होने से बैन किया गया है।
अब आंध्र प्रदेश में कैश फॉर वोट में फंसी टीडीपी

अब आंध्र प्रदेश में कैश फॉर वोट में फंसी टीडीपी

ऐसा लगता है कि तेलगु देशम पार्टी ने तेलंगाना में कैश फॉर वोट मामले में अपने विधायक की गिरफ्तारी के बावजूद कुछ नहीं सीखा है। तभी तो पार्टी आंध्र प्रदेश में भी विधान परिषद चुनावों में भी ऐसे ही तरीके अपनाने से नहीं चूक रही है।
मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।