इस्लामिक स्टेट पश्चिम एशिया में फैली अशांति का एक अंग है जहां राज्य विखंडित हो चुके हैं तथा भविष्य में राज्य के स्वरूप को आकार देने और क्षेत्रीय व्यवस्था कायम करने के लिए गैर सरकारी ताकतों के बीच भारी लड़ाई चल रही है। इसने अपनी पहली सालगिरह का जश्न तीन महाद्वीपों में नरसंहार कर मनाया है।
शुक्रवार को दुनिया के चार देशों में अलग-अलग आतंकी हमले हुए। सीरिया, ट्यूनीशिया और कुवैत में ये अब तक के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक है, जिनमें बड़ी तादाद में लोगों की जान गई है।
एक बुजुर्ग पिता पिछले आठ महीनों से रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय के चक्कर काट रहा है। जिंदगी भर पूरे दमखम से सत्ता प्रतिष्ठानों से लड़ने-भिड़ने का रसूख रखने वाले सांवलराम यादव ने प्रण किया है कि वह युद्ध में हताहत हुए अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलवाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। मामला सिर्फ एक जवान की मौत का नहीं है। इससे जुड़ा हुआ है, उन सैकड़ों जवानों की मौत का मसला जो सियाचिन से लेकर दुर्गम सीमा पर देश के लिए अत्यंत विषम परिस्थितियों में जान गंवा देते हैं। इन जवानों की मौत को आखिरकार शहीद का दर्जा क्यों नहीं मिलता?