सीबीआई की विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में 25 साल पहले हुई फर्जी मुठभेड़ में दस सिख तीर्थयात्रियों की हत्या के लिए आज 47 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने गुजरात के विवादित और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा को शनिवार को गुजरात लौटने की अनुमति दे दी। वंजारा पर गुजरात के पुलिस अधिकारी रहते हुए इशरत जहां और शोहराबुद्दीन शेख को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने का आरोप था। अदालत ने उनकी जमानत शर्त को संशोधित करते हुए यह फैसला दिया जिस कारण वंजारा पिछले एक साल से मुंबई में थे।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने झारखंड इस्पात प्राइवेड लिमिटेड (जेआईपीएल) और इसके दो निदेशकों आर.एस. रूंगटा और आर.सी. रूंगटा को राज्य में एक कोयला खान आवंटन में हुई अनियमितता के संबंध में दोषी ठहराया है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने कंपनी और इसके दो निदेशकों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) का दोषी पाया गया।
शराब व्यवसायी विजय माल्या की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। ऋण वसूली न्यायाधिकरण ने कहा कि बैंक कर्ज से जुड़े मामले का निपटान होने तक विजय माल्या डियाजिओ से प्राप्त 7.50 करोड़ डॉलर राशि नहीं निकाल सकते हैं। माल्या को यह पैसा यूनाइटेड स्प्रीट्स लिमिटेड का चेयरमैन पद छोड़ने और कंपनी के कामकाज से अलग होने के समझौते के तहत देने की घोषणा की गई थी।
दिल्ली सरकार ने कहा हैै कि रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र देवांश की मौत के बाद उसके पिता के आरोपों के मद्देनजर सीबीआई जांच की सिफारिश की जाएगी। पिता का आरोप है कि बच्चे का यौन उत्पीड़न कर उसकी हत्या की गई।
निलंबित भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने आज डीडीसीए मामले में मोदी सरकार को भी घसीटते हुए कहा कि वह सरकार के अलावा वित्त मंत्री अरूण जेटली के विरूद्ध अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। आजाद ने दावा किया कि सीबीआई अब भी पिंजड़े का तोता ही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस से सहानुभूति रखने वाले संदिग्ध लोगों पर देश भर में छापेमारी की है। इस सिलसिले में कर्नाटक, हैदराबाद, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से आईएस के कथित 14 समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है। ।
एक गैर सरकारी संगठन का आरोप है कि मध्य प्रदेश सरकार ने व्यापमं और डीमैट घोटाले के मामलों में सीबीआई जांच से बचने के लिए वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं लीं। यही नहीं राज्य सरकार ने इसके लिए अपने ही विधि विभाग के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया और सेवा के लिए उन वकीलों को सवा करोड़ रुपये का भुगतान भी किया।