संगीत नाटक अकादमी लंबे समय बाद फिर सक्रिय हो गई है। पिछले दिनों अकादमी में बेगम अख्तर की जन्मशती वर्ष पूरे होने के अवसर पर नामी कलाकारों के कार्यक्रम कराए।
कभी संजीदगी, कभी खिलखिलाहट और कभी आंखों से बहते हुए आंसू। कलाकारों की बांसुरी और उनकी आवाज से अपने नगमों को सुनकर नामचीन गीतकार संतोष आनंद के चेहरे पर कई भाव आ और जा रहे थे। पूरी महफिल उन्हें खुश होते देखकर खुश होती थी और उन्हें गमगीन देखकर रो पडती, लेकिन सबको खुशी इस बात की थी कि ठीक एक साल पहले अपने बेटे और बहू की असामयिक मौत के गम को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी जिंदगी में आगे की ओर बढ़े रहे हैं।
साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम के प्रेम के किस्से ही किस्से हैं। एक शायर तो एक कहानियों को शब्द देने वाली। ता उम्र दोनों साथ न रहते हुए भी एक-दूसरे को शिद्दत से प्रेम करते रहे। इसी प्रेम कहानी को एक मुलाकात नाम से नाटक के माध्यम से मंच पर उतारा गया।
इस वर्ष का राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पूरी तरह एक नए अंदाज में मनाया गया। पहले तो हमने देखा कि किसी भी कक्षा में घुस जाने की ताकत रखने वाले हर महत्वपूर्ण सरकारी शख्स ने 'मैं भी शिक्षक’ का अपना सपना साकार किया। कड़वा सच बताना पड़ेगा कि हमारे अब तक के इस मंत्रिमंडल में सबसे कम पढ़े-लिखे लोग हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाना अच्छा लगता है। और वे कभी-कभी पढ़ना भी पसंद करते हैं लेकिन वे अपने पसंदीदा शिक्षक और गुरुओं के गुरू आरएसएस के सिवा किसी और से पढ़ना नहीं चाहते।
अभिनेता रणबीर कपूर की हालिया फिल्में भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई हों लेकिन बॉलीवुड अभिनेत्री और उनकी कथित प्रेमिका कटरीना कैफ का कहना है, समर्पित, जोशीले और केंद्रित अभिनेता निश्चित रूप से अच्छी वापसी करेंगे।
नई फिल्म आने वाली है, तमाशा। निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर का कहना है कि यह ‘इम्तियाज मार्का फिल्म है।’ इस फिल्म में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण हैं। तमाशा पूरी होने की पार्टी में जब उनसे छोटे भाई आदित्य रॉय कपूर के बारे में पूछ तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता आदित्य को मुझसे किसी सलाह की जरूरत है। वह खुद ही अपने करिअर को बेहतर ढंग से संभाल रहा है। अगर आप एक फिल्म पर लगभग एक साल लगाने जा रहे हैं तो वह अच्छी फिल्म के लिए ही होना चाहिए। ऐसे में फिल्मों के चयन को लेकर संजीदा होना अच्छा है।
18 मई को हजारीबाग (बिहार) में जन्म। हिंदी में स्वर्ण पदक के साथ गोवा विश्वविद्यालय से एम ए। अनकही, तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी, कायान्तर (कहानी संग्रह)। औरत जो नदी है, साथ चलते हुए और इकबाल (उपन्यास)। तम्हारे लिए (कविता संग्रह)। आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण। कहानियों के लिए युवाकथा सम्मान (सोनभद्र) 2012
जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।