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ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
मोदी न मंडेला को जानते हैं न बादल कोः सुरजीत पातर

मोदी न मंडेला को जानते हैं न बादल कोः सुरजीत पातर

एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तुलना दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता और पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला से कर रहे हैं तो दूसरी ओर पंजाब के साहित्यकार पीएम मोदी के राज में लेखकों पर लगातार हो रहे हमलों के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा रहे हैं। गुरुबचन भुल्लर, अजमेर सिंह औलख, आत्मजीत सिंह और कैनेडा में रह रहे वरियाम संधू पहले ही साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं जबकि आज साहित्यकार सुरजीत पातर ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर दी है। पातर के अलावा पंजाब से कवि दर्शन बुडर और साहित्यकार मेघराज मित्तर ने भी अपने-अपने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है।
पातर, डबराल व जोशी ने लौटाए पुरस्कार, सिलसिला जारी

पातर, डबराल व जोशी ने लौटाए पुरस्कार, सिलसिला जारी

आजादी पर हमले के विरोध में साहित्यकारों का लगातार साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाना जारी है। यह सिलसिला पंजाब में भी शुरू हो चुका है। गुरुबचन भुल्लर, अजमेर सिंह औलख, आत्मजीत सिंह और कैनेडा में रह रहे वरियाम संधू पहले ही साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं।
पंजाब के मंत्री ने कहा, मोगा बस पीड़िता की मौत ईश्वर की मर्जी

पंजाब के मंत्री ने कहा, मोगा बस पीड़िता की मौत ईश्वर की मर्जी

पंजाब के शिक्षा मंत्री सुरजीत सिंह राखड़ा ने यह कहकर एक विवाद को हवा दे दी है कि मोगा में छेड़छाड़ के बाद बस से धकेली गई लड़की की मौत ईश्वर की मर्जी थी।
गहरे संकट से भिड़ना होगा वाम को

गहरे संकट से भिड़ना होगा वाम को

सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी आंदोलन के एक जाने-माने चेहरा हैं। हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, बांग्ला भाषा में मजबूत पकड़ रखने के साथ एक-दो और भाषाओं के ज्ञाता है 62 वर्षीय येचुरी। मिलनसार स्वभाव वाले इस मृदुभाषी वाम नेता के कंधों पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की गहरे संकट में फंसी नाव को निकालने की जिम्मेदारी है।
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