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Search Result : "सूफी दरगाह"

हाजी अली के दर तक नहीं पहुंच पाईं तृप्ति

हाजी अली के दर तक नहीं पहुंच पाईं तृप्ति

महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर और त्रयंबकेश्वर मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार के मुद्दे पर कामयाबी हासिल करने के बाद भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई लैंगिक समानता का अपना अभियान आज मुंबई के प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह तक ले जाना चाहती थीं लेकिन वे अंदर नहीं गईं और वहां उन्हें रोकने के लिए मौजूद प्रदर्शनकारियों से टकराव टल गया।
चर्चाः सत्ता के लिए रास्ता वही पुराना | आलोक मेहता

चर्चाः सत्ता के लिए रास्ता वही पुराना | आलोक मेहता

भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार अब एकछत्र राज के लिए कांग्रेस के पुराने रास्ते को अधिक चमकाकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। सप्ताहांत हुई पार्टी की राष्‍ट्रीय परिषद की बैठक में दलित, किसान, विकास, राष्ट्रवाद के एजेंडे को जोर-शोर से उछाला गया।
मोदी ने किया वर्ल्ड सूफी फोरम का उद्घाटन

मोदी ने किया वर्ल्ड सूफी फोरम का उद्घाटन

दिल्ली के विज्ञान भवन में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड सूफी फोरम का उद्घाटन किया। चार दिन तक चलने वाले इस फोरम में 20 देशों के करीब 200 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम के आखिरी दिन रामलीला मैदान में एक रैली का भी आयोजन किया जा रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ विशाल सूफ़ी सुन्नी सम्मेलन कल

आतंकवाद के खिलाफ विशाल सूफ़ी सुन्नी सम्मेलन कल

भारत के सुन्नी सूफ़ी मुसलमानों की प्रतिनिधि सभा ऑल इंडिया तंज़ीम उलेमा ए इस्लाम और मुस्लिम स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया इस शुक्रवार यानी 4 मार्च दोपहर 3 बजे से जयपुर के रामलीला मैदान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है जिसमें देश में अलगाववादी विचारधारा के प्रसार और आतंकवाद के विरुद्ध जनमानस बनाने की रूपरेखा तैयार होगी।
अमीर खुसरो की कविता, शिरीन की कहानी

अमीर खुसरो की कविता, शिरीन की कहानी

हजरत अमीर खुसरो की लिखी रुदार ए शिरीन एक ऐसी स्त्री की जीवन गाथा है जिसमें वह अपनी पहचान और अस्तित्व ढूंढने की कोशिश करती है। इसे संगीतमय रूप में दिल्ली घराने की महिला कलाकारों ने प्रस्तुत किया है। रुदार ए शिरीन यानी शिरीन की कहानी की मंच पर संगीतमय प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा।
दहेज के खिलाफ उलेमाओं की पहल

दहेज के खिलाफ उलेमाओं की पहल

बरेलवी मरकज दरगाह आला हजरत के उलमा ने दहेज मांगने वालों और शादियों में खड़े होकर खाना खिलाने वालों का बहिष्कार करते हुए उनके यहां निकाह न पढ़ाने का फैसला किया है।
ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

पाकिस्तानी सूफी गायक अदील खान बर्की जब भी हिंदुस्तान आते हैं एक तकलीफ के साथ यहां से जाते हैं। बंटवारे के वक्त बर्की के बुजुर्गों को जालंधर से लाहौर पड़ा था। उनके दादा और वालिद की तमन्ना थी कि आखिरी वक्त में एक दफा वह जालंधर जरूर जाएं लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें यह नसीब न हो सका। ऐसे में अदील खान के दादा और वालिद के खाक-ए-सुपुर्द होने के बाद उन्होंने उनकी कब्र पर कत्बा लगवाया, जिसपर लिखा ‘ए जालंधर की हवाओ अगर कभी इस तरफ से गुजरो तो कुछ देर इस कब्र पर ठहर जाना, तुम नहीं जानती कि मरने वाला तुम्हें कितना याद करता है क्योंकि तुम बदनसीब इंसानों की तरह वीजा की मोहताज नहीं हो।’ इस दफा जब अदील खान हिंदुस्तान आए तो आउटलुक की विशेष संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की-
अजमेर शरीफ दरगाह में प्रधानमंत्री की ओर से चादर चढ़ाई

अजमेर शरीफ दरगाह में प्रधानमंत्री की ओर से चादर चढ़ाई

सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर स्थित मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेंट की।
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