अपना साहित्य पुरस्कार वापस लेने से इंकार कर चुकी जानी-मानी लेखिका नयनतारा सहगल ने आज साहित्य अकादमी को एक पत्र लिखकर कहा कि असहिष्णुता के खिलाफ उनका विरोध जारी है।
साहित्य अकादमी का पुरस्कार लौटाने का सिलसिला एक नई परिस्थिति का संकेत देता है और एक अभूतपूर्व माहौल की रचना भी करता है। परिस्थिति नई है, वरना अभी तक यह माना जाता रहा है कि कला और साहित्य में राज्य द्वारा सम्मानित किए जाने के लिए होड़ लगी रहती है। पुरस्कार लौटाने की व्यग्रता इस पैमाने पर पहले नहीं देखी गई।
नए जमाने की कहानियां अब इतने नए जमाने की हो गई हैं कि यह फिल्में सिर्फ एक खास पीढ़ी को ही अच्छी लग सकती हैं। प्यार का पंचनामा का पहला भाग भी ठीक ठाक चल गया था तो इसका सीक्वेल भी अच्छा चल जाने की पूरी उम्मीद है। पूरे देश के विश्वविद्यालय के छात्र भी अगर इस फिल्म को देख लेंगे तो निर्माता के पूरे पैसे वसूल हो जाएंगे।
देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और नयनतारा सहगल सहित 21 लेखकों द्वारा साहित्यिक सम्मान लौटाने की घोषणा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिन्दू धर्म को विकृत करने और भारत को नष्ट करने के प्रयासों में सेकुलर ग्रंथि से पीड़ित कुछ असहिष्णु कलमकारों ने अपने तमगे लौटा दिए हैं।
देश में सांपद्रायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं से आहत होकर अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों की सूची में मलयाली लेखिका सारा जोसेफ का नाम भी जुड़ गया है। जोसेफ को वर्ष 2003 में उनकी रचना अलहयूद पेनमक्कल के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।
देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में यह पुरस्कार लौटा चुके हैं।
देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में यह पुरस्कार लौटा चुके हैं।