मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में नामित किए गए सुब्रह्मण्यम स्वामी लंबे समय से गांधी परिवार को निशाना बना रहे हैं और राज्यसभा में अपनी नई पारी में भी उनके तेवर वैसे ही हैं। कांग्रेस के नेता उनके बयानों से लगातार असहज होते रहे हैं मगर अब बारी शायद खुद भारतीय जनता पार्टी की है।
कांग्रेस ने गुरुवार को राज्यसभा में सवाल किया कि बुधवार को सदन में अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर सौदे के मुद्दे पर चर्चा के दौरान मनोनीत सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने रक्षा मंत्राालय, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के जिन गोपनीय संवेदनशील दस्तावेजों का संदर्भ दिया था, वे दस्तावेज उन्हें कैसे हासिल हुए।
भाजपा सरकार द्वारा राज्यसभा में नामजद पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दो बड़ी घोषणाएं की हैं, जिससे सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री, सांसद और पार्टी पदाधिकारी तक स्तब्ध हैं।
राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सदन की कार्यवाही से अपनी टिप्पणियों को उप सभापति द्वारा हटाए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने कार्यवाही से अपनी टिप्पणी को हटाए जाने के फैसले को मनमाना, अनुचित और सदन के नियमों के खिलाफ बताया है।
राज्यसभा में मनोनीत सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने आज फिर कुछ विवादित टिप्पणियां कीं जिन पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई। आसन ने स्वामी की टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया तथा विपक्षी सदस्यों को अनावश्यक रूप से उकसाने के लिए उन पर कार्रवाई करने के लिए भी चेताया।
अगस्तावेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर सौदा रिश्वत मामले में आज राज्यसभा में मनोनीत सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष का नाम लिए जाने पर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखी तकरार हुई और सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के सदस्य रहे नरेंद्र जाधव को मोदी सरकार ने राज्यसभा में मनोनीत किया। उनके अलावा भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी और नवजोत सिंह सिद्धू को भी राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। इन तीनों के अलावा मलयालम अभिनेता सुरेश गोपी, पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता और मुक्केबाज मैरी कॉम को भी राज्यसभा के नए सदस्यों के तौर पर मनोनीत किया गया है।
‘अंडरस्टैंडिंग दी फाउंडिंग फादर्स’ केवल भारत के महान नेताओं के राजनीतिक जीवन को ही समझने का प्रयास नहीं है बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और प्रख्यात विद्वान एवं शिक्षाविद राजमोहन गांधी ने इस किताब में भारतीय राष्ट्रवाद के उन शिल्पकारों की विरासत के आसपास पैदा हो रहे सवालों पर एक रोशनी डालने का प्रयास किया है जो आज राजनीतिक परिचर्चाओं में अच्छी-खासी सुर्खियां बटोर रहे हैं।