Advertisement

Search Result : "हरिद्वार जिला प्रशासन"

उत्‍तराखंड: यात्रा प्रधानमंत्री की, निगाह रामदेव पर

उत्‍तराखंड: यात्रा प्रधानमंत्री की, निगाह रामदेव पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल ऋषिकेश आ रहे हैं, लेकिन लोगों का ध्यान रामदेव की पतंजलि योगपीठ पर लगा हुआ है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के समय से ही रामदेव इस कोशिश में लगे रहे हैं कि उत्तराखंड में उनकी पहली यात्रा पतंजलि योगपीठ की ही होनी चाहिए। बीते एक साल में केंद्र सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्री किसी न किसी मौके पर पतंजलि योगपीठ का भ्रमण कर चुके हैं, लेकिन रामदेव प्रधानमंत्री को बुलाने में सफल नहीं हो पाए हैं। प्रधानमंत्री को पतंजलि योगपीठ लाना रामदेव के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। अब, 11 सितंबर को यह तय हो जाएगा कि रामदेव की प्रतिष्ठा बढ़ेगी या वे उपेक्षा का शिकार दिखेंगे।
संतई के बहाने ‘पदवियों’ का कारोबार

संतई के बहाने ‘पदवियों’ का कारोबार

हाल के दिनों की कुछ घटनाओं का आधार मान लें तो हिंदू संतों की जिंदगी सवालों के घेरे में है। जो सेवा, त्याग, तपस्या का दम भरते थे, वे सिक्कों की खनखनाहट के फेर में पड़ने से लेकर संदिग्ध लोगों तक को पदवियां बांटने में जुटे हुए दिख रहे हैं। संतई एक भरा-पूरा कारोबार नजर आ रही है। नाम, पहचान, भगवान से लेकर पद-परंपरा तक, सब कुछ बिकने वाली चीजों में शुमार हो गए हैं। ऐसे हालात में आस्था और भरोसा कहीं कोने में दुबक कर सिसक रहे हैं। संतों का कारोबार लगातार तरक्की कर रहा है और जिंदगी की दुश्वारियों से परेशान लोग किसी चमत्कार की उम्मीद में उनके शरणागत हो रहे हैं।
कांवड़ यात्रा से मुसीबत में हरिद्वार की सांसें

कांवड़ यात्रा से मुसीबत में हरिद्वार की सांसें

साल भर पहले डेरा सच्चा सौदा के करीब दस हजार लोगों ने हरिद्वार की यात्रा की थी। ये सभी अपने साथ झाडू़ और साफ-सफाई का सामान लेकर आए थे। इन श्रद्धालुओं ने दिन भर में पूरे हरिद्वार शहर को साफ कर दिया था और शहर से इतना कूड़ा एकत्र किया था कि उसे हटाने में नगर निगम को एक सप्ताह से ज्यादा लग गया था। क्या ऐसी ही उम्मीद कांवड़‍ियों से की जा सकती है?
गुजरात दंगाः निचली अदालत को और तीन महीने की मोहलत

गुजरात दंगाः निचली अदालत को और तीन महीने की मोहलत

उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले की कार्यवाही पूरी करने के लिए अहमदाबाद की अदालत को आज तीन महीने की और मोहलत दे दी। नरसंहार की इस घटना में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 व्यक्ति मारे गये थे।
भूमिपूजन से भला नहीं

भूमिपूजन से भला नहीं

वह एक हिंदू राजा की तरह अपनी पत्नी और बेटे के साथ बैठकर आंध्र की नई राजधानी के लिए भूमि पूजन कर रहे थे। वैदिक रीति से मंत्रोच्चार की गूंज चहुं दिशाओं में उठ रही थी। मुहूर्त का ध्यान पल-पल रखा जा रहा था। घड़ी ने जैसे ही सुबह के 8.49 मिनट बजाए, यह सब शुरू हो गया। बाकी तमाम साथी थोड़ी दूरी पर थे, क्यांेकि यह प्रक्रिया पति, पत्नी और बेटे (यहां राजा,रानी और राजकुमार पढ़ा जाए) द्वारा ही पूरी की जाने की बात शास्त्रों में लिखी है। बिल्कुल वैसा ही किया गया।
कोबाड गांधी के अनशन के बाद हरकत में आया तिहाड़ प्रशासन

कोबाड गांधी के अनशन के बाद हरकत में आया तिहाड़ प्रशासन

माओवादी विचारक कोबाड गांधी पिछले करीब पांच साल से तिहाड़ जेल में हैं। जेल से लिखे एक पत्र में कोबाड गांधी ने अपने साथ हुए उत्‍पीड़न और भूख हड़ताल पर जाने की मजबूर को बयां किया है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement