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Search Result : "हर दूसरा बच्चा"

आखिरी पारी में नहीं चले संगकारा, रहाणे का शानदार शतक

आखिरी पारी में नहीं चले संगकारा, रहाणे का शानदार शतक

अंजिक्य रहाणे के शतक और रविचंद्रन अश्विन की कसी हुई गेंदबाजी के चलते भारत ने श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टेस्‍ट मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। भारत ने दूसरी पारी आठ विकेट पर 325 रन बनाकर घोषित की और श्रीलंका के सामने जीत के लिए 413 रन का मुश्किल लक्ष्य रखा। इसके जवाब में श्रीलंका ने चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक दो विकेट पर 72 रन बना लिए हैं। अब भी उसे जीत के लिए 341 रनों की दरकार है। अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय पारी खेलने उतरे कुमार संगकारा सिर्फ 18 गेंदे खेलकर पवेलियन वापस लौटे गए।
राहुल का शतक, भारत पहले दिन 319/6

राहुल का शतक, भारत पहले दिन 319/6

युवा सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल की शतकीय पारी तथा कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा के अर्धशतकों की मदद से भारत ने श्रीलंका के खिलाफ दूसरे क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन आज छह विकेट पर 319 रन बनाए।
जिम्‍बाब्‍वे को 62 रनों से हरा सीरीज पर भारत का कब्‍जा

जिम्‍बाब्‍वे को 62 रनों से हरा सीरीज पर भारत का कब्‍जा

अनुभवी खिलाड़‍ियों के बगैर उतरी भारतीय क्रिकेट टीम ने जिम्‍बाब्‍वे को दूसरे वनडे मैच में 62 रनों से हरा दिया है। 33 गेंदों में 4 विकेट लेने वाले भुवनेश्‍वर कुमार मैच के हीरो रहे हालांकि मुरली विजय को उनकी 72 रनों की पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

साइना ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के दूसरे दौर में

भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और तेजी से उभरते एच.एस. प्रणय ने क्रमश: महिला और पुरुष वर्ग में जीत दर्ज करके आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के दूसरे दौर में प्रवेश किया।
बच्चे को दूध नहीं पिलाने पर कार्रवाई

बच्चे को दूध नहीं पिलाने पर कार्रवाई

कामकाजी महिलाओं में सबसे खराब स्थितियां मजदूर वर्ग की महिलाओं की हैं। उनके लिए न तो क्रेच व्यवस्था है और न वे मजदूरी के समय से समय निकाल अपने नवजात बच्चों को दूध पिला सकती हैं। कुपोषण के शिकार इनके बच्चों का सही विकास तक नहीं हो पाता है। बच्चे को दूध न पिला सकने का ऐसा ही एक मामला तेलंगाना में सामने आया है जिसमें ऐसा होने पर बच्चे की मौत हो गई है।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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