तमिलनाडु और केरल विधानसभा के लिए 27 जून को हुए उपचुनावों के नतीजों में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं हुआ। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता राज्य की आर. के. नगर सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और भाकपा उम्मीदवार से डेढ़ लाख मतों से जीत गईं। वहीं कांग्रेस केरल की अरूविक्कारा सीट बचाने में कामयाब रही।
कोई चिट्ठी कितनी महंगी बिक सकती है इसपर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय होगी मगर चिट्ठी यदि दुनिया के चर्चित वैज्ञानिक अल्बर्ट आईन्स्टीन ने लिखी तो कुछ खास हो जाती है।
यकीन करना आसान नहीं हैं। ये तीसेक साल से कुछ ज्यादा के नौजवान हैं, जिन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छी नौकरी हासिल भी की और फिर छोड़ भी दी। खुद का कारोबार शुरू किया और कामयाब भी हो गए। आज ये तेजी से बढ़ती ई-कॉमर्स कंपनी के मालिक हैं। मैंने पूछा मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करते हुए असफलता का डर नहीं लगा? आर्थिक दिक्कतें नहीं आईं? जवाब देखिए, ज्यादा से ज्यादा क्या होता वापस नौकरी करनी पड़ती। इतनी पढ़ाई और काम करने के बाद इतना भराेसा तो था कि भूखे मरने वाले नहीं हैं। इसलिए ज्यादा फ्रिक नहीं हुई।
मुंबई में एक मुसलमान एमबीए युवक जीशान खान को हीरे का निर्यात करने वाली कंपनी हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स द्वारा मुस्लिम होने की वजह से नौकरी न दिए जाने पर मचे हंगामे के बीच एक दिलचस्प खबर यह है कि जीशान को एक रेडियो स्टेशन ने रेडियो प्रस्तोता या कहें रेडियो जॉकी की नौकरी का प्रस्ताव दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की हत्या करने वाले को हिंदू महासभा के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष द्वारा 50 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा संबंधी खबरें प्रकाशित होने पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समुदाय ने तीखी भर्त्सना की है। राइट लाइवलिहुड अवार्ड प्राप्त करने वालों ने आज स्टॉकहोम से एक बयान जारी करके इस पर गंभीर चिंता जाहिर की है। स्वामी अग्निवेश को भी यह पुरस्कार मिल चुका है।
गरीबों की कार की छवि तोड़ने के लिए टाटा मोटर्स ने नैनो को एक बार फिर नए अवतार में पेश किया है। किसी समय लखटकिया कही जाने वाले नैनो की एक्स शोरूम कीमत अब दिल्ली में 2.89 लाख रुपये तक पहुंच गई है।
मदर्स डे पर कराए गए एक सर्वेक्षण में खास बात सामने आई है। भारत के कई बड़े शहरों में एसोचैम द्वारा कराए गए सर्वे से यह बात निकल कर आई है कि बच्चे की किलकारी पर मां करिअर कुर्बान कर देती है। अच्छी पद, प्रतिष्ठा और पैसे वाली नौकरी भी उन्हें बच्चों की परवरिश और उसकी देखभाल के कर्तव्य से डिगा नहीं पाती है।