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Search Result : "12 वें दौर की वार्ता"

जातियों को रिझाने का दौर

जातियों को रिझाने का दौर

डा0 राम मनोहर लोहिया ने कभी नारा दिया था कि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने बांधी गांठ, सौ में पाएं पिछड़े साठ, कुछ इसी ही अंदाज में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी उत्तर प्रदेश में नारा दे रहे हैं। मुलायम का कहना है कि पिछड़ों की आबादी 54 प्रतिशत है लेकिन देश पर 8 प्रतिशत वालों का राज है। मुलायम का यह वक्तव्य प्रदेश में साल 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार की जा रही जमीन को लेकर है।
बिना पूर्व शर्त भारत के साथ वार्ता के लिए तैयार: नवाज शरीफ

बिना पूर्व शर्त भारत के साथ वार्ता के लिए तैयार: नवाज शरीफ

एक अहम घटनाक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान भारत के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के वार्ता के लिए तैयार है।
रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे भारत, मलेशिया : मोदी

रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे भारत, मलेशिया : मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत और मलेशिया सुरक्षा एवं रक्षा के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करेंगे। साथ ही उन्होंने जोर दिया कि दुनिया भर में हुए हालिया आतंकी हमले और भारत तथा अफगानिस्तान के खिलाफ लगातार आतंकी हमलों की कोशिश आतंकवाद की वैश्विक प्रकृति की याद दिलाती है। मोदी ने चरमपंथ और कट्टरपंथ से लड़ने में नेतृत्व मुहैया कराने, आतंकवाद एवं धर्म में किसी भी तरह के संबंध को खारिज करने तथा इस्लाम के वास्तविक मूल्यों को उजागर करने के लिए अपने मलेशियाई समकक्ष नजीब रजाक की सराहना भी की।
मोदी, एबे ने हाथ मिलाया, लेकिन तिरंगा उल्टा लगा

मोदी, एबे ने हाथ मिलाया, लेकिन तिरंगा उल्टा लगा

कुआलालंपुर में भारत के लिए उस समय असहज स्थिति उत्पन्न हो गई जब आसियान शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ताओं से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जापानी समकक्ष शिंजो एबे के साथ फोटो खिंचवाने वाले थे और उस समय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उल्टा लगा नजर आया।
कोयला ब्लाकों के चौथे दौर की नीलामी प्रक्रिया शुरू

कोयला ब्लाकों के चौथे दौर की नीलामी प्रक्रिया शुरू

सरकार ने चौथे दौर में आठ ब्लाकों की ऑनलाइन नीलामी की प्रकिया आज शुरू कर दी। इन ब्लाकों की नीलामी इस्पात, सीमेंट व लौह जैसे क्षेत्रों के लिए की जानी है। सरकार कोयला ब्लाकों की नीलामी व आवंटन के पहले तीन चरणों में तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहले ही जुटा चुकी है।
सू ची की पार्टी ने जीता म्यांमार का ऐतिहासिक चुनाव

सू ची की पार्टी ने जीता म्यांमार का ऐतिहासिक चुनाव

आंग सान सू ची की पार्टी ने 8 नवंबर को हुए चुनावों के अब तक आए नतीजों में संसदीय बहुमत हासिल कर लिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से अब तक जारी किए गए चुनाव परिणाम में शासन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में एनएलडी सफल रही। पार्टी अब तक 348 संसदीय सीटें जीत चुकी है और कई सीटों के नतीजे घोषित होने अभी बाकी हैं।
स्‍मृति ईरानी से वार्ता बेनतीजा, #OccupyUGC मुहिम जारी

स्‍मृति ईरानी से वार्ता बेनतीजा, #OccupyUGC मुहिम जारी

नॉन-नेट फेलोशिप बंद करने के प्रस्ताव के खिलाफ पिछले 17 दिनों से दिन-रात डटे छात्रों की मुहिम आखिरकार रंग लाई। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्‍मृति ईरानी को छात्रों से बात करने के लिए खुद मंत्रालय से बाहर आना पड़ा। हालांकि, छात्र प्रतिनिधियों के साथ ईरानी की वार्ता बेनतीजा रही लेकिन इससे #OccupyUGC मुहिम हौसला जरूर बढ़ा है।
शिवसेना का बीसीसीआई दफ्तर पर धावा, पीसीबी से वार्ता टली

शिवसेना का बीसीसीआई दफ्तर पर धावा, पीसीबी से वार्ता टली

मुंबई में शिवसैनिकों ने आज भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के दफ्तर में घुसकर जमकर हंगामा किया। शिवसेना भारत और पाकिस्‍तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल करने के प्रयासों का विरोध कर रही है। शिवसेना के विरोध प्रदर्शन के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर और पीसीबी प्रमुख शहरयार खान के बीच बातचीत कल तक के लिए टाल दी गई है।
‘बदला’ इंदौर में हार का दौर

‘बदला’ इंदौर में हार का दौर

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की जुझारू पारी (86 गेंद पर 92 रन) की बदौलत भारत ने बमुश्किल नौ विकेट पर 247 रन बनाए। लक्ष्य आसान नहीं तो मुश्किल भी नहीं था लेकिन भारतीय गेंदबाजों की शानदार गेंदबाजी की बदौलत दक्षिण अफ्रीका की टीम 225 रन पर ही सिमट गई। इंदौर की जीत के साथ ही भारत की हार के दौर पर विराम लग गया है।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
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