सांसदों का ‘रिश्वत कांड’ एक बार फिर गूंज उठा। ममता बनर्जी देश की उन नेताओं में से हैं, जिन पर व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लग सकते। जार्ज फर्नांडिस पर ‘तहलका स्टिंग आपरेशन’ के कारण आरोप लगा, लेकिन जार्ज को भ्रष्ट और बेईमान नहीं माना गया।
न्यायपालिका पर आप या हम कोई प्रश्नचिह्न लगाएं, तो अवमानना कानून की लक्ष्मण रेखा सामने आ सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विराजमान राष्ट्रपति स्वयं न्याय की वर्तमान व्यवस्था एवं उसकी साख पर संकट की बात करें, तो निश्चित रूप से सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की आवाज उठनी चाहिये।
बसपा प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को राज्यसभा में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। मायावती ने कहा कि जो जातिवादी मानसिकता कांग्रेस पार्टी व उनकी सरकारों की हुआ करती थी, वही बुरा व गलत रवैया वर्तमान भाजपा सरकार का भी बना हुआ है। मायावती ने कहा कि उन्होने जो सवाल पूछा था उसका सही जवाब नहीं मिला।
देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि उनके विचार में भारत एक असहिष्णु देश नही है। लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि देश में धर्मनिरपेक्ष लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही सवाल क्यों उठाते हैं, मुस्लिम कट्टरपंथियों को क्यों छोड़ देते हैं। तसलीमा ने कहा कि छद्म-धर्मनिरपेक्षता पर आधारित लोकतंत्र कभी सच्चा लोकतंत्र नहीं है।
अपने पार्टी विरोधी बयानों से भाजपा को लगातार परेशानी में डालने वाले भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की आलोचना की है। उन्होंने शनिवार को केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यदि सरकार मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले तक इंतजार कर लेती तो आसमान नहीं गिर जाता।
प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पंजाब के मुक्तसर जिले में होने वाला ऐतिहासिक माघी मेला इस दफा अलग होगा। पहली दफा यहां आम आदमी पार्टी की भी कॉन्फ्रेंस करेगी। इससे पहले कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल के अलावा यहां तमाम खालिस्तान समर्थक राजनीतिक पार्टियां ही कॉन्फ्रेंस किया करती थी। पंजाब के मामले में खास बात यह है कि किसी ने पंजाब के मतदाता की नब्ज भांपनी हो या किसी राजनीतिक पार्टी का जनाधार देखना हो वह माघी मेले में जरूर जाता है। इसे राजनीतिक पार्टियों का शक्ति प्रदर्शन कहा जा सकता है।
देश में असहिष्णुता पर जारी बहस के बीच उप राष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि समाज में आलोचना और सवाल उठाए जाने के प्रति असहिष्णुता है जिसकी वजह अवैज्ञानिक पूर्वाग्रहों पर आधारित अतार्किक आस्था और मत हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच के अभाव में ही अक्सर असहमति जाहिर करने वाले व्यक्ति के बहिष्कार या उसकी हत्या कर दिए जाने या फिर किताबों पर प्रतिबंध जैसी घटनाएं सामने आती हैं।