नरेंद्र मोदी सरकार ने शासन के अपने पहले एक साल की उपलब्धियां गिनाते हुए शनिवार को कहा कि संप्रग शासन के दौरान कथित रूप से प्रभावित हुई प्रधानमंत्री पद की विश्वसनीयता, गरिमा और कद को उसने बहाल किया है। शासन से बाहर बने ताकतवर सत्ता तंत्र को ध्वस्त किया है।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल पूरे होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकार के एक साल के लेखे-जोखे के साथ शुक्रवार को मीडिया के सामने आए। वैसे लोगों को उम्मीद थी कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर सामने आएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ। जेटली ने पहले सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और फिर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह हुर्रियत कांफ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के पासपोर्ट से संबंधित आवेदन पर तभी विचार करेगी पक जब तब वह सभी औपचारिकताओं को पूरा करेंगे।
दिल्ली के अफसरों की लगाम किसके हाथ में रहेगी, इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव तेज होता जा रहा है। बुधवार को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री पर निशाना साधा है। सिसौदिया का कहना है कि ईमानदार अफसरों की नियुक्ति से ट्रांसफर इंडस्ट्री चलाने वाले लोगों को दर्द हो रहा है। इस मसले में उन्होंने रिटायर्ड आईएएस अफसरों को भी आड़े हाथों लिया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि वर्तमान वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ढांचागत विकास को गति देने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं का ठेका देने की योजना बनाई है।
बाजारवादी ताकतों के मोदी सरकार से लगातार हो रहे मोहभंग की स्थिति के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि लोगों ने मोदी सरकार से अवास्तविक उम्मीदें लगा ली थीं।
उपराज्यपाल के खिलाफ अपनी जंग को अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ले जाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को उनसे कहा कि शहर की सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए।
दिल्ली के संवैधानिक संकट के मसले पर आज केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलेंगे। अगर आज भी यह मामला नहीं सुलझा तो दिल्ली का संवैधनिक संकट और गहरा जाएगा। उधर दिल्ली सरकार और अफसरों के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। इस बीच दिल्ली सरकार ने संकेत दिए हैं कि अगर अफसरों की मनमानी और केंद्र सरकार का दखल ऐसा ही रहा तो सरकार विशेषज्ञों की राय से सरकार चला सकती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली जल्द ही सरकारी बैंकों के साथ बैठक कर उनमें हिस्सेदारी की बिक्री और बढ़ते एनपीए (बट्टे खाते में पड़ा धन) की समस्या पर चर्चा करेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा, बैंक मुझसे मिलने आ रहे हैं। कुछ बैंक तात्कालिक मुद्दों के संबंध में मुझसे मुलाकात करने आ रहे हैं।