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Search Result : "Afghanistan Earthquake"

काबुल में दो आत्मघाती हमले, 35 की मौत

काबुल में दो आत्मघाती हमले, 35 की मौत

काबुल में गुरुवार और शुक्रवार की रातों में दो अलग-अलग आत्मघाती हमलों में कम से कम 35 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। तालिबान नेता मुल्ला उमर की मौत की घोषणा के बाद अफगानिस्तान की राजधानी में यह सबसे बड़ा हमला है।
तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर की मौत

तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर की मौत

अफगान सरकार एवं खुफिया सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि तालीबानी नेता मुल्ला उमर की मौत दो से तीन साल पहले ही हो गई थी। हालांकि इस बारे में कोई और ब्यौरा नहीं दिया गया है।
अफगानिस्तान और ओमान भी खेलेंगे विश्व कप टी-20

अफगानिस्तान और ओमान भी खेलेंगे विश्व कप टी-20

अफगानिस्तान के बाद ओमान ने भी गुरुवार रात यहां अपने-अपने क्वालीफायर मैचों में जीत दर्ज करके भारत में अगले साल होने वाली आईसीसी विश्व टी20 चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया। अफगानिस्तान और ओमान के क्वालीफाई करने साथ ही 11 मार्च से तीन अप्रैल 2016 के बीच भारत के विभिन्न शहरों में होने वाली इस चैंपियनशिप की सभी 16 टीमों का निर्धारण हो गया है।
भूकंप ने बदल दी सियासत

भूकंप ने बदल दी सियासत

काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या‍ स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
अफगान संसद पर हमला और भारत

अफगान संसद पर हमला और भारत

जैसे भारत की संसद पर हमला किया गया था, वैसे ही अफगानिस्तान की संसद पर भी किया गया। दोनों हमलों का चरित्र एक-जैसा है।
अफगान संसद पर आत्‍मघाती हमला

अफगान संसद पर आत्‍मघाती हमला

तालिबान आतंकवादियों ने आज अफगानिस्तान की संसद पर एक बड़ा हमला किया। आतंकियों ने संसद भवन में कई विस्फोट और भीषण गोलीबारी की।
नेपाल के पुनर्निर्माण का सवाल

नेपाल के पुनर्निर्माण का सवाल

25 अप्रैल को नेपाल में आए भूकंप से व्यापक तबाही हुई है। इससे नेपाल में महात्रासदी की स्थिति पैदा हो गई है। भूकंप के एक माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद लगातार कंपन जारी है। बारह अप्रैल को 7.3 रेक्टर की तीव्रता ने स्थिति को जटिल बनाने के साथ ही लोगों का सामान्य जीवन तबाह कर दिया है। भारी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे राते गुजारने के लिए बाध्य हैं। पीड़ितों के पास अब तक पर्याप्त राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है। दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है। सरकारी मदद अब तक इन स्थानों तक नहीं पहुंची है। राज्य सरकारों की अनुपस्थिति ने शासकीय शून्यता को जन्म दिया है। वर्षों से वहां पर नौकरशाहों का राज है। स्थानीय स्तर पर निर्वाचित और उत्तरदायी शासन के अभाव ने राहत कार्यों में गंभीर स्थिति को जन्म दिया है।
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