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बंगाल : दुर्गा पूजा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भी प्रतिमा

बंगाल : दुर्गा पूजा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भी प्रतिमा

पश्चिम बंगाल में इस समय दुर्गा पूजा की हर जगह धूम है। इस दौरान पूरे प्रदेश में जगह-जगह पर दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। सभी पंडालों में भक्‍तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। भबानीपुर की दुर्गा प्रतिमा इनमें से आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है।
कानपुर में भी बवाल, तलवारें और कट्टे लेकर निकले उन्मादी

कानपुर में भी बवाल, तलवारें और कट्टे लेकर निकले उन्मादी

कानपुर के फजलगंज थाना क्षेत्र के दर्शनपुरवा में आज एक धार्मिक पोस्टर का कथित तौर पर अपमान करने को लेकर दो संप्रदायों के बीच तनाव फैल गया और एक पक्ष ने दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार भीड़ में से किसी ने पुलिस पर गोली भी चलाई हालांकि इससे किसी नुकसान की खबर नहीं है।
अफ्रीकी सफारी की तर्ज पर पूजा पंडाल

अफ्रीकी सफारी की तर्ज पर पूजा पंडाल

इस पूजा में कुछ नया अनुभव करना हो तो कोलकाता का रूख किया जा सकता है। कोलकाता में हर साल की तरह इस बार भी पूजा पंडालों को अलग और अनूठा बनाने की तैयारी जोरों पर है। दुर्गा पूजा आने में अभी वक्त है। लेकिन पंडाल में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं इसके लिए आयोजक तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए कोलकाता के एक पंडाल ने यहां आने वाले लोगों को अफ्रीकी सफारी का आनंद लेने का मौका दिया है।
दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

दुर्गा की दुर्लभ मूर्ति भारत को लौटाई मर्केल ने

जर्मनी ने जम्मू-कश्मीर से दो दशक पहले लापता हुई दसवीं शताब्दी की दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ति भारत को आज लौटा दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का आभार जताया। लापता होने के बाद यह मूर्ति जर्मनी के एक संग्रालय में पाई गई थी। भारत की यात्रा पर आईं जर्मन चांसलर मर्केल ने यहां हैदराबाद हाउस में मोदी को यह मूर्ति सौंपी।
गठला – आत्माओं का स्थायी पता

गठला – आत्माओं का स्थायी पता

मध्य भारत के भील आदिवासियों की संस्कृति में ऐसा माना जाता है कि मृत और जीवित आत्माएं एक ही साथ एक ही क्षेत्र में निवास करती हैं। मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के इलाकों में पाई जाने वाली इस भील जाति से जुड़ी ऐसी ही कई अन्य परंपराओं और रीति-रिवाजों को विक्रम मोहन ने एक समकालीन नृत्य नाटिका में समेटा है। उन्होंने इसका नृत्य निर्देशन भी किया है।
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