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शरीफ सरकार से उनके ही सांसद ने पूछा, कौन से अंडे देता है सईद जो पाल रहे हैं

शरीफ सरकार से उनके ही सांसद ने पूछा, कौन से अंडे देता है सईद जो पाल रहे हैं

आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री न सिर्फ दुनिया भर में बल्कि खुद अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम न उठाने और उसे संरक्षण देने का आरोप झेल रही पाकिस्तानी सरकार से सत्तारूढ़ पार्टी के ही एक सांसद ने सवाल पूछा, आखिर हाफिज सईद ऐसे कौन से अंडे देता है जिसकी वजह से हमने उसे पाल रखा है।
अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती, उच्च न्यायालय में आदेश सुरक्षित

अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती, उच्च न्यायालय में आदेश सुरक्षित

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर आज अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है।
लश्कर की आत्मघाती हमलावर थी इशरत जहां: हेडली

लश्कर की आत्मघाती हमलावर थी इशरत जहां: हेडली

पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने गुरुवार को लगातार तीसरे दिन मुंबई की अदालत के समक्ष कई सनसनीखेज खुलासे किए। पहले तो उसने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा में किसी महिला की संलिप्तता से इनकार किया लेकिन बाद में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम के सवाल पर बताया कि इशरत जहां लश्कर की आत्मघाती हमलावर थी।
मुनव्वर की मनुहार करेंगे मोदी

मुनव्वर की मनुहार करेंगे मोदी

देश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के विरोध में पिछले दिनों अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर जल्द ही उनसे मुलाकात करेंगे।
अवॉर्ड लौटाने वालों में मुनव्वर राणा भी शामिल

अवॉर्ड लौटाने वालों में मुनव्वर राणा भी शामिल

पिछले कुछ दिनों से पुरस्कार लौटा रहे लेखकों की सूची में नया नाम शायर मुनव्वर राणा का जुड़ गया है। इस मौके पर उन्होंने कहा, विरोध दर्ज कराने का इससे मजबूत और कोई जरिया नहीं है।
अजान हो तो रोक दो मंदिर की घंटियां

अजान हो तो रोक दो मंदिर की घंटियां

खुलना से ढाका की ओर मैंने जब रवानगी डाली तो दिन के दो बज रहे थे। खुलना से ढाका की दूरी मात्र 132 किलोमीटर है। लेकिन यह 132 किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे पूरे नौ घंटे लगे। बीच में गंगा नदी को भी पार करना होता है, जो यहां आकर पद्मा बन जाती है। इस नदी पर कोई पुल नहीं है। बस, ट्रक, रिक्शे, सभी एक बड़े शिप पर सवार होते हैं और फिर उस पार पहुंचा दिए जाते हैं।
गंगा-जमुनी तहजीब बयां करते महरौली के पत्‍थर

गंगा-जमुनी तहजीब बयां करते महरौली के पत्‍थर

एक गिरजाघर है जो मंदिर सा दिखता है... और मस्जिद सा भी। एक त्यौहार है जो मुगलों के दौर से चला आ रहा है... जी हां , महरौली का हर पत्थर कुछ बोलता है और हिंदुस्तान की नायाब गंगा-जमुनी तहजीब के तराने सुनाता है।
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