वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार को कहा कि भारत में पहली बार आर्थिक सुधारों को व्यापक जन समर्थन प्राप्त हुआ है। हाल के चुनाव नतीजे इसका संकेत देते हैं।
मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) या सौराष्ट्र क्रिकेट संघ (एससीए) ने भले ही अपनी पूर्णकालिक सदस्यता का दर्जा गंवा दिया हो लेकिन उन्हें बीसीसीआई एजीएम में रोटेशन आधार पर मतदान करने का मौका मिलेगा।
दागी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को आजीवन अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए चौतरफा आलोचनाओं का सामना करने के बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को यह विवादास्पद फैसला वापस लेने को बाध्य होना पड़ा है।
पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने आज हैदराबाद क्रिकेट संघ (एचसीए) के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दायर किया। इससे पहले अरशद अयूब ने लोढा समिति के सुधारवादी कदमों पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था।
उच्चतम न्यायालय के लोढ़ा समिति के सुधारों को लागू करने के आदेश के बाद राष्ट्रीय चयन पैनल में चयनकर्ताओं की संख्या कम होना तय है और ऐसे में गगन खोड़ा और जतिन परांजपे को अपने पद छोड़ने होंगे क्योंकि वे तय शर्तों को पूरा नहीं करते।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और सुधारों को आगे बढ़ाने का संकेत देते हुये आज कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रहित में कठिन फैसले लेने से नहीं हिचकिचायेगी, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी कुछ समय की परेशानी है।
सरकार देश के ढांचागत क्षेत्र के विकास के लिये जरूरी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में वर्ष 2016 में किये गये सुधारों के आधार पर एफडीआई प्रवाह अगले साल भी बेहतर रहने की उम्मीद कर रही है। इस वर्ष जनवरी से सितंबर के दौरान एफडीआई प्रवाह 21 प्रतिशत बढ़कर 32.18 अरब डालर रहा।
संसद में बार-बार कार्यवाही बाधित होने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की ओर से जताई गई नाराजगी को लेकर आज भाजपा और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ गई। दोनों पार्टियों ने संसद ठप रहने का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ा। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आडवाणी अपनी पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लड़ रहे हैं।
केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों का चलन बंद किए जाने का असर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। हालांकि सभी पार्टियां केंद्र सरकार के इस कदम से खुद पर पड़ने वाले असर के मुद्दे पर खामोश हैं, लेकिन चुनावों के लिए पार्टियों द्वारा चंदा एकत्र किए जाने के अब तक के तौर-तरीकों से यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े नोटों का चलन बंद हो जाने से उन पर क्या असर पड़ेगा।