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Search Result : "Bharat Chhodo movement"

ट्रेन से कीजिए भारत दर्शन, एक दिन का किराया 830 रुपए

ट्रेन से कीजिए भारत दर्शन, एक दिन का किराया 830 रुपए

भारतीय रेलवे ने तीर्थयात्रियों को बड़ी सुविधा देते हुए भारत दर्शन ट्रेन की शुरुआत की है। यह ट्रेन दर्शनार्थियों को शिरडी, तिरुपति, जगन्‍नाथपुरी, गंगासागर, बैद्यनाथ धाम और ज्‍योर्तिलिंगों की सैर कराएगी।
राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

राम मंदिर जल्दी न बना तो आंदोलन करेंगे संत

उज्जैन सिंहस्थ में विश्व हिंदू परिषद के मंडप में बीते दो दिन संतों की बैठक हुई। संत समाज से आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, जूना अखाड़ा सहित कई महामंडलेश्वर, शंकराचार्य आदि शामिल हुए। बैठक में सभी ने विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय से चर्चा की।
कहानी - फिर भी यह मन

कहानी - फिर भी यह मन

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की रुद्रपुर तहसील के एक गांव सिलहटा में जन्म। बी.ए. तक की पढ़ाई गांव और गोरखपुर में। जवाहर लाल विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से हिन्दी साहित्य में एम.ए., एम.फिल और पी-एच.डी.। इन दिनों हालचाल, अनभै कथा, असुंदर सुंदर, बिल्कुल तुम्हारी तरह, कायांतरण कविता संग्रह। हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी में भी लेखन। कुछ कविताएं अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, उड़िया और पंजाबी में अनूदित। लंबी कविता सोनचिरई की कई नाट्य प्रस्तुतियां। आलोचना पर पुस्तकें - भारतीय समाज, राष्ट्रवाद और प्रेमचंद, शब्दों में समय, आलोचना का मानुष-मर्म, सर्जक का स्वप्न, विचारधारा, नए विमर्ष और समकालीन कविता, उपन्यास की परिधि। प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘उम्मीद’ का संपादन। कविता के लिए भारत भूषण अग्रवाल सम्मान और आलोचना के लिए देवीशंकर अवस्थी सम्मान सहित हिंदी अकादमी दिल्ली का ‘कृति सम्मान’, उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार’, उ. प्र. हिंदी संस्थान का ‘विजयदेव नारायण साही पुरस्कार’, भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता का युवा पुरस्कार, डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान और परंपरा ऋतुराज सम्मान।
जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

जिन्हें नहर किनारे ही ‘ठीक’ से आती है!

नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत खुले में शौच न जाने के नियम ने कई बुजुर्गों की सुबह बिगाड़ दी है। बात सिर्फ खुले में शौच करने पर 250 रुपये जुर्माने की नहीं है, आदत की भी है। हालांकि लोग मानते है कि ठीक से सफाई रहेगी तो उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।
नेपाल सरकार संविधान में संशोधन को तैयार मधेशी फिर भी अड़े

नेपाल सरकार संविधान में संशोधन को तैयार मधेशी फिर भी अड़े

नेपाल में चल रहे मधेशी आंदोलन को लेकर राजनीतिक दलों रूख भले ही लचर हो रहा है लेकिन मधेशी नेताओं की मानें तो सरकार पूरी तरह से उनकी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
विरोध करने वालों का आचरण सैनिकों जैसा नहीं : पर्रिकर

विरोध करने वालों का आचरण सैनिकों जैसा नहीं : पर्रिकर

वन रैंक वन पेंशन की अधिसूचना के विरोध में पूर्व सैन्य कर्मियों द्वारा अपने पदक लौटाने का फैसला करने के एक दिन बाद, आज रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि विरोध करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों का आचरण सैनिकों जैसा नहीं है और उन्हें गुमराह कर दिया गया है।
वन रैंक वन पेंशनः पर्रिकर ने कहा, सभी मांगें पूरी नहीं हो सकतीं

वन रैंक वन पेंशनः पर्रिकर ने कहा, सभी मांगें पूरी नहीं हो सकतीं

वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना की औपचारिक अधिसूचना को लेकर एक ओर जहां विरोध प्रदर्शन करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों ने असंतोष जाहिर किया है वहीं दूसरी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि लोकतंत्र में मांग करने का अधिकार सभी को है लेकिन सभी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता।
सर्विस टैक्‍स के साथ अब 0.5% स्‍वच्‍छ भारत सेस भी लगेगा

सर्विस टैक्‍स के साथ अब 0.5% स्‍वच्‍छ भारत सेस भी लगेगा

सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए सभी तरह की करयोग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत स्वच्छ भारत सेस वसूलने का फैसला किया है। यह उपकर पहले से लागू 14 प्रतिशत सर्विस टैक्‍स के अतिरिक्त होगा। यानी अब कुल मिलाकर 14.5 फीसदी सर्विस टैक्‍स देना होगा। इससे चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों में जनता की जेब पर 400 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
नेपाल में मधेशी आंदोलन को भारत देगा पूर्ण समर्थन

नेपाल में मधेशी आंदोलन को भारत देगा पूर्ण समर्थन

नेपाल में नए संविधान को लेकर चल रहे मधेशियों के विरोध का भारत पूरी तरह से समर्थन करता रहेगा। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक मधेशियों की मांग को नेपाल सरकार पूरी तरह से खारिज करना चाह रही है जो कि संभव नहीं है।
विकसित गुजरात के गटर में दम तोड़ता जीवन

विकसित गुजरात के गटर में दम तोड़ता जीवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के ढोल की पोल गुजरात में खुल रही। अहमदाबाद में सीवर में मौत के बाद एफआईआर तक आसानी से नहीं होती है दर्ज, गौर कानून प्रथा चल रहे है खुलेआम, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप 10 लाख रुपये का मुआवजा भी परिजनों को नहीं नसीब