कांग्रेस निगम की सत्ता में आई तो पांच लाख रेहड़ी पटरी वालों को लाइसेंस देगी। इसके अलावा मजदूरों के स्वास्थ्य बीमा तथा गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर काम करेगी। झुग्गी झोपड़ी वालों को उनके स्थान पर ही मकान बनाकर दिए जाएंगे।
स्वराज इंडिया ऐसी पहली पार्टी है जिसने पर्यावरण के मुद्दे को केंद्रीय मुद्दा बनाया है। आज तक किसी पार्टी ने इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया है। अब पार्टी दिल्ली के स्वास्थ्य निर्माण की दिशा में कदम उठाएगी।
पंजाब और गोवा में करारी हार के बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में अपनी प्रचार रणनीति में बदलाव किया है। पिछले दो साल से लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य आप नेताओं ने नकारात्मक प्रचार अभियान से बचने का फैसला किया है।
दिल्ली निगम चुनाव को ध्यान में रखते हुए असंतुष्टों का दल बदलने का खेल भी तेज हो गया है। कांग्रेस नेता व डिप्टी मेयर रह चुकी रजिया सुल्ताना व पूर्व पार्षद जमीर अहमद मुन्ना ने आप का दामन थाम लिया है। इससे पार्टी को खासा झटका लगा है।
मुस्लिमों से बीफ छोड़ने की अपील और पीएम मोदी से बीफ को पूरे देश में बैन करने की मांग अजमेर दरगाह के दीवान को भारी पड़ गई है। उन्हें दरगाह के दीवान के पद से हटा दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के नगर निगम बोर्ड की बैठक में वंदेमातरम को लेकर शुरु विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भाजपा से जुड़े महापौर ने जहां राष्ट्रगीत के सम्मान के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का ऐेलान कर दिया है, तो विपक्षी पार्षद किसी भी कीमत पर वंदेमातरम नहीं बोलने पर अड़े हुए हैं।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा, इन चारों विधेयकों को एक साथ इसलिए पेश किया जा रहा है, क्योंकि विधेयकों की विषय-वस्तु एक जैसी ही है।
वस्तु एवं सेवा कर को संवैधानिक मंजूरी प्राप्त पहला संघीय अनुबंध करार देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त कर का भार नहीं डालते हुए जीएसटी के माध्यम से देश में एक राष्ट्र, एक कर की प्रणाली लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
कार्यपालिका और न्यायपालिका की भूमिकाओं के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि जनता का धन कैसे खर्च किया जाए, इसकी मंजूरी देने का अधिकार केवल संसद को है और वही यह कानून बना सकती है कि सांसदों को कितनी पेंशन दी जा सकती है।