आर्थिक सुधारों को गति देते हुए सोमवार को मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (एफडीआई पॉलिसी) में कई बड़े बदलावों का ऐलान किया। नागरिक उड्डयन और रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है।
कुछ आर्थिक निर्णयों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंच ने ई-कॉमर्स, खाद्य प्रसंस्करण और विपणन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का विरोध करने का निर्णय किया है।
भारत में वर्ष 2015 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह लगभग दोगुना हो गया। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड) ने कहा कि पिछले साल विदेशी निवेश पाने वाले देशों में अमेरिका शीर्ष पर रहा। अंकटाड की सालाना रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष वैश्विक स्तर पर एफडीआई का प्रवाह अप्रत्याशित रूप से 36 प्रतिशत बढ़ कर 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के पहले के स्तर के करीब पहुंच गया।
केंद्र सरकार सरकार ने दिवाली के ठीक एक दिन पहले आर्थिक सुधारों की दिशा में एक बड़ा एलान किया है। मंगलवार को सरकार ने 15 क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है।
सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने समाचारों की गुणवत्ता तथा पत्रकारों के प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान नहीं दिए जाने पर चिंता जाहिर करने के साथ ही आज कहा कि सरकार न्यूज चैनलों में और अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के मुद्दे पर विचार कर रही है।
कारपोरेट क्षेत्र का एक हिस्सा और भारत के वित्त मंत्रालय में एक प्रभावशाली तबका विदेशी दान दाताओं के मामले में ज्यादा अनुदार रवैये की उपयोगिता के बारे में संशय रखता है। उनकी राय में सामाजिक क्षेत्र में विदेशी दाता पूंजी के प्रति ज्यादा अनुदार रुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हतोत्साहित करेगा। ऐसी कारपोरेट राय की अगुवाई नारायण मूर्ति करते हैं। देखें नृपेंद्र मिश्र की पंचायती क्या रंग लाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के एक साल पूरे होने से पहले ही कई मोर्चों पर किरकिरी झेलनी पड़ रही है जिसमें सबसे बड़ा मुद्दा बढ़ती महंगाई और निवेशकों का बढ़ता मोहभंग रहा है। ऐसे में मोदी कैबिनेट ने कुछ ऐसे अहम फैसलों पर मुहर लगाई है जिसकी भारतीय जनता पार्टी अरसे से आलोचना करती आ रही थी।