हरियाणा के नए उपनगरीय इलाकों सोनीपत और पानीपत को केंद्र की 100 स्मार्ट शहर बनाने की महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल करने से इस क्षेत्र में करीब 200-300 करोड़ रुपए का नया निवेश आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के डीएलएफ और कांग्रेस राज में हुए तमाम जमीनी सौदों और भूमि उपयोग में बदलाव (सीएलयू) के खिलाफ हरियाणा में शुरू हुई न्यायिक जांच को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चाएं तेज हैं।
हरियाणा की भाजपा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के गुडगांव में जमीन सौदे की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है। यह जांच अगले छह महीने में पूरी होनी है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने दावा किया है कि हुड्डा सरकार ने सोनिया गांधी के दामाद को खुश करने के लिए सारी हदें पार कर दी थीं। इस बीच सोशल मीडिया पर 'सूट-बूट वाले जीजा जी' काफी चर्चाओं में हैं। हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने 'सूट-बूट वाले जीजा' की जांच की बात कही थी। इसके जवाब में वाड्रा ने फेसबुक पर सूट-बूट में अपनी एक तस्वीर ही साझा कर दी।
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने हरियाणा कैडर के निलंबित आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को दिल्ली के एक व्यवसायी की हत्या की कथित साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया है।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में सीटें भले ही 28 जीती और बहुमत से 8 सीटें कम रह गई मगर प्रचार के साफ-सुथरे और गैरपरंपरागत तरीके अपनाकर महज एक साल पुरानी इस पार्टी ने 15 वर्षों से मजबूती से दिल्ली में जमी शीला दीक्षित सरकार का तंबू तो उखाड़ा, इस भ्रम को भी तोड़ दिया कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है।