ऐसा कम ही होता है कि अमिताभ बच्चन किसी को धमकाएं। लेकिन उन्होंने अनुष्का शर्मा को ट्वीट पर लिखा, 'आप मुझे ब्लॉक करने की जुर्रत मत करना, क्योंकि मेरा ट्वीटर अकाउंट सकारात्मक है।'
5 अक्टूबर 1955 को जन्म। छह कहानी संग्रह, 3 उपन्यास और एक कविता संग्रह। पहली कहानी सन 1978 में सारिका में प्रकाशित। दूरदर्शन और आाकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों द्वारा कहानियों पर टेलीफिल्म और रेडियो नाटकों का निर्माण। कई कहानियों का भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं में कहानियां अनूदित।
पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा समिति के आदेश का अध्ययन करने और छह सप्ताह के अंदर अपनी सिफारिशें देने के लिए गठित बीसीसीआई के चार सदस्यीय कार्यसमूह में शामिल किया गया है। आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला इस समिति के अध्यक्ष होंगे।
उत्तर प्रदेश कैडर के अाईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से कथित तौर पर दी गई धमकी की जांच पुलिस करेगी। ठाकुर ने पुलिस में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन पुलिस ने साफ कर दिया है कि जांच के बाद ही इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी।
सर्जरी कराने के बाद जयपुर के अस्पताल से मुंबई लौटने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सांसद और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने दुर्घटना में आहत हुए परिवार को वित्तीय सहायता की पेशकश की है। अपनी बेटी ईशा देओल और दामाद भरत तख्तानी के साथ 66 वर्षीया अभिनेत्री शनिवार को चार्टर्ड विमान से मुंबई लौट गईं।
अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी को आज अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। दौसा जिले में हेमा की मसर्डीज कार के एक अन्य कार से टकराने पर वह घायल हो गई थीं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बॉलीवुड में अभिेषेक बच्चन ने पंद्रह साल पूरे कर लिए हैं। इसके लिए उन्होंने अपने प्रशंसकों (यदि हैं तो) को धन्यवाद दिया है। हालांकि अभिषेक ने यह 15 साल ऐसे ही नहीं गंवाएं हैं, उनके खाते में युवा और गुरु जैसी फिल्में हैं।
अभी तक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के हिंदी फिल्मी प्रेम के बारे में लोगों को पता था। लेकिन लगता है राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी फिल्मों के शौकीन हैं। राष्ट्रपति भवन में पीकू फिल्म का खास शो रखा गया।
प्रख्यात लेखक और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय ने शनिवार को कहा कि 28 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में हुए जनसंहार मामले में तत्कालीन सरकार ने पीएसी बल के विद्रोह के डर से समुचित कार्रवाई नहीं की थी और बाद में आई तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने भी पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कोई गंभीर पहल करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश की।