पेप्सीको की सीईओ तथा चेयरमैन इंदिरा नूयी को फारच्युन की 51 सर्वाधिक शक्तिशाली महिला की सूची में जगह मिली है। वह इस सूची में एकमात्र भारतीय मूल की महिला हैं। इसमें जनरल मोटर्स की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) तथा चेयरमैन मैरी बारा पहले पायदान पर हैं। नूयी सूची में दूसरे स्थान पर हैं।
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक लापरवाही का एक अजीब मामला सामने आया है। राज्य की बीपीएल सूची में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का नाम दर्ज है। इस संबंध में खुद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है।
दुनिया की बड़ी कंपनियों की फॉर्च्यून 500 सूची में सात भारतीय कंपनियां जगह पाने में कामयाब रही हैं। इनमें इंडियन ऑयल कार्पोरेशन का स्थान सबसे ऊपर रहा है, जबकि ओएनजीसी सूची में स्थान बनाने में नाकाम रही।
फोर्ब्स की दानदाताओं की सूची में चीन के पॉनी मा अव्वल हैं। वह टेनसेंट होल्डिंग के सीईओ हैं और उन्होंने टेनसेंट फाउंडेशन को 15 हजार करोड़ रुपये दान किए हैं।
जस्ट डायल, यूटीआआई एसेट मैनजमेंट कंपनी तथा आईआरसीटीसी भारतीय कंपनियों की फॉर्चून नेक्स्ट 500 सूची में शामिल हैं। सूची में डायनामैटिक टेक्नोलाजीज शीर्ष स्थान पर है।
पुरानी दिल्ली की हर एक गली अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। जब इन गलियों से हम गुजरते हैं तो कहीं से जायकों की खुशबू आती है तो कहीं हाथों की बेहतरीन कारीगरी का नमूना आंखों में बस सा जाता है। कभी शाहजहांबाद के नाम से मशहूर इस शहर की इसी सांस्कृतिक विरासत को समझने और नई पीढ़ी को उससे रूबरू कराने के मकसद से इंडिया सिटी वाक्स ने बुधवार को डेल्ही वाक्स का आयोजन किया।
मलेशिया में स्थित सौ साल पुराने विवेकानंद आश्रम को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिया जाए या नहीं यह संभवत: अगले हफ्ते तय होगा। स्वामी विवेकानंद का यह आश्रम लगभग सौ साल से भी पुराना है। आश्रम का न्यास मंडल राष्ट्रीय विरासत का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव दो बार ठुकरा चुका है। इससे पहले मलेशिया सरकार ने यहां ब्रिकफील्ड्स में स्थित 110 साल पुरानी इस इमारत को विरासत स्थल का दर्जा देने की अधिसूचना जारी करने की योजना बनाई थी। लेकिन आश्रम का न्यासमंडल इस प्रस्ताव को दो बार ठुकरा चुका है।
जहांगीरनगर विश्वविद्यालय के उत्खनन दल को दीनाजपुर जिले के एक गांव में खुदाई के दौरान एक मंदिर का पता चला है। माना जा रहा है कि यह मंदिर आठवी और नवीं सदी के बीच पाल राजवंश के शासकों ने बनवाया था।