इस महीने के अंत में होने वाली प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और डिलीवरी सिस्टम की नई सीमाएं तय करने से जुड़े एक समझौते पर बातचीत कर रहा है। यह समझौता भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु संधि जैसा समझौता हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव ने पश्चिम एशिया से समुद्र के रास्ते प्राकृतिक गैस लाने की भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि ओमान और ईरान के रास्ते प्रस्तावित गहरे समुद्र की गैस पाइपलाइन परियोजना को मंजूरी मिल जाने से कूटनीतिक गतिरोध उत्पन्न हो जाएगा।
ईरान पर प्रतिबंध हटाने को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों ने जो समझौता किया है उसे लेकर खुद अमेरिका में ही घमासान मचा हुआ है। राष्ट्रपति बराक ओबामा जहां डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रनिनिधित्व करते हैं वहीं अमेरिकी सीनेट और कांग्रेस में उनके विरोधी रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों का दबदबा है और यह पार्टी ईरान समझौते से नाखुश बताई जा रही है।
पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित इस्राइल यात्रा 1992 में शुरू हुई लंबी प्रक्रिया की तार्किक परिणति है, लेकिन ऐसे वक्त में हो रही है जब थोड़ा संतुलन साधने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के लिए भारत के दावे के समर्थन को लेकर चीन पर दबाव बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे कदम से दि्वपक्षीय संबंध नए स्तर पर पहुंचेंगे तथा एशिया को अधिक मजबूती मिलेगी।